त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र में नासिक शहर से लगभग 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है| त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग की एक खास विशेषता है कि त्र्यंबकेश्वर मंदिर में स्थित ज्योतिर्लिंग के तीन मुख हैं जो त्रिदेव अर्थात् ब्रम्हा, विष्णु और महेश के प्रतीक हैं| प्रत्येक वर्ष लाखों की तादाद में श्रद्धालु त्र्यंबकेश्वर मंदिर में भगवान शिव का आशीर्वाद, शांति और आध्यात्मिक ज्ञान को प्राप्त करने की तलाश में आते हैं|
वर्तमान में स्थित त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का निर्माण तीसरे पेशवा बालाजी बाजीराव ने करवाया था जिसके चारों दिशाओं में एक-एक प्रवेश द्वार हैं| काले पत्थरों से बना त्र्यंबकेश्वर मंदिर, ब्रम्हगिरी पर्वत के पास गोदावरी नदी के किनारे पर स्थित है| मंदिर के अंदर पवित्र कुशावर्त कुंड भी है जो गोदावरी नदी का स्त्रोत है| मंदिर का मुख्य गर्भ गृह नीचे की ओर बना हुआ है जिसके कारण शिवलिंग के दर्शन शीशे के माध्यम से कराए जाते हैं तथा मंदिर परिसर के अंदर लगी हुई स्क्रीन के माध्यम से भी आप दर्शन कर सकते हैं|

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मुख्य गर्भ गृह में दर्शन के बाद बाहर आने पर मंदिर के प्रांगण में एक अन्य शिवलिंग भी मौजूद है जिसका स्पर्श करके ओर जलाभिषेक करके आप भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं|
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा-

पौराणिक कथाओं के अनुसार ऐसा बताया जाता है कि एक बार महर्षि गौतम को नीचा दिखाने के लिए उनके साथ आश्रम में रहने वाले ऋषि-मुनियों ने उनका अपमान करने की योजना बनाई जिसके लिए उन्होंने गणेश जी से प्रार्थना की| गणेश जी ऋषि-मुनियों की प्रार्थना से खुश होकर प्रकट हुए और अपने भक्तों से वरदान मांगने को कहा तब ऋषि-मुनियों ने अपनी इच्छा बताते हुए कहा कि गौतम ऋषि को इस आश्रम से बाहर निकाल दीजिए जिसके कारण गणेश जी को विवश होकर उनका सहयोग करना पड़ा और गणेश जी की मदद से ऋषि-मुनियों ने गौतम ऋषि पर गौहत्या का आरोप लगा दिया|
गौतम ऋषि गौहत्या के पाप से बहुत दुखी हुए जिसके प्रायश्चित के लिए उन्होंने ऋषियों से उपाय पूछा तो ऋषियों ने कहा आप गौहत्या के पाप से तभी मुक्त हो सकते हैं जब देवी गंगा यहाँ पर बहेंगी| फिर गौतम ऋषि ने भगवान शिव की कठिन तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए|
शिव जी ने गौतम ऋषि से कहा आप वरदान मांगिए तो गौतम ऋषि ने भगवान शिव से वरदान मांगा कि आप माँ गंगा को यहाँ प्रकट कर दीजिए जिस पर देवी गंगा बोली कि वो यहाँ तभी रहेंगी जब शिव जी भी यहाँ रहेंगे| तब शिव जी ने देवी गंगा की बात को मानते हुए स्वयं को यहाँ पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित कर लिया और देवी गंगा भी गोदावरी नदी के रूप में बहने लगीं|
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग को कब करें प्लान?

अगर मौसम के अनुकूल होकर त्र्यंबकेश्वर मंदिर में जाने की बात करें तो यहाँ आने के लिए सबसे अच्छा टाइम अक्टूबर से मार्च के बीच का है जिस समय सुहावना मौसम आपके त्र्यंबकेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए लगी कतारों में भी आपको सुखद अनुभव देता रहेगा और आप भीनी-भीनी हवाओं के बीच से ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करते-करते कब भगवान शिव के दर्शन को पहुँच जाएंगे आपको पता भी नहीं चलेगा||
इन महीनों के अलावा यहाँ गर्मी या बारिश का मौसम आपको थोड़ा परेशान कर सकता है लेकिन मानसून में यहाँ की खूबसूरती भी अलग ही होती है| अगर आपको बारिश पसंद है और आपको मानसून से किसी प्रकार की दिक्कत नहीं है तो आप मानसून में भी आ सकते हैं|
किसी विशेष पर्व या त्यौहार की बात करें तो यहाँ महाशिवरात्रि का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है और त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में सावन का महीना भी शिव भक्तों के लिए उल्लास का विषय है|
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के द्वारा दी जाने वाली ऑनलाइन सुविधाएं-

दान-
आप अगर किसी कारणवश यहाँ आने में सक्षम नहीं हैं और फिर भी मंदिर के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु दान के माध्यम से मंदिर की भव्यता, तीर्थयात्रियों की सुविधाओं तथा मंदिर की आध्यात्मिकता और विरासत को संरक्षित रखने में अपना योगदान देना चाहते हैं तो आप मंदिर की ऑफिसियल वेबसाइट के माध्यम से दान कर सकते हैं जिसके लिए आपको अपनी पर्सनल डिटेल्स जैसे नाम, मोबाइल नंबर, पैन नंबर, राशि, ईमेल आइडी भी देनी पड़ती है|
भक्तनिवास-
अगर आप त्र्यंबकेश्वर मंदिर जाकर सिर्फ मंदिर की आध्यात्मिकता का अनुभव करना चाहते हैं और रुकने के लिए सस्ते बजट में अच्छा आवास चाहते हैं लेकिन होटल और कमरों को ढूंढने के चक्कर में व्यर्थ समय नहीं गंवाना चाहते हैं तो आप त्र्यंबकेश्वर मंदिर की ऑफिसियल वेबसाइट के माध्यम से त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास में स्थित भक्तनिवास भी देख सकते हैं जिसमें परिवार के साथ रुकने के कई बजट फ़्रेंडली कमरे उपलब्ध हैं|
लघुरुद्र पूजा और रुद्राभिषेक पूजा-
अगर आप मंदिर जाने में किसी प्रकार से असमर्थ हैं और फिर भी अपने घर से ही त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में रुद्राभिषेक पूजा अथवा लघुरुद्र पूजा का आध्यात्मिक अनुभव चाहते हैं तो शिव भक्तों के लिए भोलेनाथ की कृपा से यह भी संभव हो गया है| अब आप ऑनलाइन बुकिंग के माध्यम से त्र्यंबकेश्वर मंदिर में पुरोहितों द्वारा पूजा करवा सकते हैं जिसके लिए आपको ऑफिसियल वेबसाइट की मदद से बुकिंग करनी होगी जिसके बाद आपके द्वारा दिए गए नंबर पर पंडित जी आपको पूजा से जुड़ी हुई सभी प्रकार की जानकारी भी बताएंगे और पूजा के समय के अनुसार आपको लाइव जोड़कर इस पूजा का सुखद अनुभव भी देंगे|
नोट- त्र्यंबकेश्वर मंदिर में रुद्राभिषेक पूजा केवल पुरोहितों द्वारा ऑनलाइन ही की जाती है|
लाइव दर्शन-
आप त्र्यंबकेश्वर मंदिर की ऑफिसियल वेबसाइट के माध्यम से घर बैठे त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के लाइव दर्शन का अनुभव कर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं|
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में मनाए जाने वाले विशेष पर्व-

- चैत्र महीने के पहले दिन मंदिर के ट्रस्टियों द्वारा विशेष पूजा की जाती है तथा शाम को शोभायात्रा भी निकाली जाती है|
- सावन के महीने में नागपंचमी और पूर्णिमा के दिन भगवान का विशेष शृंगार होता है|
- आश्विन मास की अष्टमी तिथि को कोलाम्बिका, नीलाम्बिका तथा भुवनेश्वरी आदि देवियों को विशेष वस्त्र पहनाए जाते हैं| दशहरा और दीवाली के दिन मंदिर के ट्रस्टी त्र्यंबकेश्वर का विशेष अनुष्ठान भी करते हैं|
- वसंत पंचमी पर त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का अद्भुत शृंगार किया जाता है|
- महाशिवरात्रि के अवसर पर त्र्यंबकराज की शोभायात्रा निकाली जाती है जिसके दर्शन के लिए श्रद्धालु दूर-दूर से आते हैं| भगवान शिव को समर्पित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में महाशिवरात्रि को सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है, जिसके कारण यहाँ पर महाशिवरात्रि के दिन मेला भी लगता है| भगवान शिव और माता पार्वती के विवाहोत्सव के रूप में मनाया जाना वाला महाशिवरात्रि, जिसमें शामिल होने के लिए दूर-दूर से सैंकड़ों श्रद्धालु यहाँ आते हैं और इन आध्यात्मिक दृश्यों में अभिभूत हो जाते हैं|
- अक्षय तृतीया पर त्र्यंबकेश्वर मंदिर में स्थित हर्ष महल को खोला जाता है|
- फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन होलीपूजन भी किया जाता है, दूसरे दिन परेवा को भगवान त्र्यंबकेश्वर को विशेष रूप से सजाया जाता है तथा रंगपंचमी के दिन भगवान पर रंग लगाया जाता है|
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग में होने वाले विशेष कार्यक्रम-

पालखी सोहला-
त्र्यंबकेश्वर मंदिर का एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम पालखी सोहला भी है जिसमें सोमवार के दिन भगवान शिव के लिए पुरोहित संघ के द्वारा पालखी अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है| इसमें लिंग को स्वर्ण मुकुट से ढका जाता है, यह मुकुट हीरे, पन्ने जैसे कई रत्नों से सुसज्जित है| इस रत्न जड़ित मुकुट को पांडवों के समय का बताया जाता है| इन अहम मौकों पर भगवान शिव को कुशावर्त तीर्थ पर ले जाकर उनका अभिषेक किया जाता है| शिव भक्त खुशी से पालकी का अनुसरण करते हैं और इन आध्यात्मिक पलों के साक्षी बनते हैं जिसके मार्ग में ढोल, नगाड़ों की धुन दूर-दूर से आए भक्तों को भी झूमने पर विवश कर देती हैं|
कुंभ मेला महोत्सव-
एक अन्य कारण जो कि त्र्यंबकेश्वर की आध्यात्मिकता में चार चांद लगाता है वह है यहाँ लगने वाला कुंभ का मेला जिसके बारे में ऐसा कहा जाता है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत की एक बूंद त्र्यंबकेश्वर में भी गिरी थी| इसी कारण प्रत्येक 12 वर्ष में एक बार यहाँ पर कुंभ मेले का आयोजन होता है जिसके लिए दूर-दूर से लाखों की तादाद में श्रद्धालु यहाँ आते हैं और पवित्र कुंड में डुबकी लगाकर मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं| भक्त गोदावरी नदी के तट पर, नासिक में राम कुंड और त्र्यंबकेश्वर मंदिर के कुशावर्त कुंड में स्नान करते हैं|
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास स्थित ब्रम्हगिरी पर्वत-
ब्रम्हगिरी पर्वत पर ही गोदावरी नदी की उत्पत्ति हुई थी| त्र्यंबकेश्वर मंदिर से थोड़ी ही दूरी पर ब्रम्हगिरी पर्वत पर जाने के लिए सीढ़ियों का रास्ता बना हुआ है जिसमें लगभग 700 सीढ़ियाँ चढ़कर आप गोदावरी नदी के उद्गम स्थल अर्थात् ब्रम्हगिरी पर्वत पर पहुँच सकते हैं जहां पर आपको राम कुंड और लक्ष्मण कुंड के दर्शन का भी सौभाग्य प्राप्त होगा| आप चलने में असमर्थ है तो दूसरे रास्ते से साधन के माध्यम से भी यहाँ पहुँच सकते हैं|
त्र्यंबकेश्वर मंदिर परिसर में दी जाने वाली सुविधाएं-

अगर आप कतार में लगे बिना जल्दी दर्शन करना चाहते हैं तो आप मंदिर परिसर के समीप बने काउन्टर से दर्शन पास लेकर बिना किसी लाइन के दर्शन कर सकते हैं| यह काउन्टर कुशावर्त चौक के पास स्थित है|
अगर किसी को मंदिर के अंदर जाने के लिए पर्याप्त समय नहीं है तो मंदिर परिसर में लगी स्क्रीन के माध्यम से भी आप भगवान त्र्यंबकेश्वर के दर्शन कर सकते हैं|
नोट- मंदिर परिसर में अपनी पहचान को सत्यापित करने के लिए अपना पहचान पत्र अवश्य लेकर जाएं|
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुँचें?
हवाई मार्ग द्वारा- नासिक में इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जिसकी दूरी त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग से लगभग 50 किलोमीटर है| नासिक एयरपोर्ट आकर आप बस या टैक्सी के माध्यम से त्र्यंबकेश्वर मंदिर पहुँच सकते हैं|
रेल मार्ग द्वारा- नासिक में नासिक रोड रेलवे स्टेशन है जिसको रेल मार्ग द्वारा देश के सभी प्रमुख शहरों से जोड़ा गया है तो आप ट्रेन के माध्यम से भी आसानी से नासिक आ सकते हैं जिसके बाद यहाँ चलने वाले लोकल साधन से त्र्यंबकेश्वर मंदिर पहुँच सकते हैं|
सड़क मार्ग द्वारा- नासिक देश के सभी शहरों से सड़कों के माध्यम से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है तो आप स्वयं के साधन से भी यहाँ आसानी से आ सकते हैं| आप राज्य के अंतर्गत चलने वाली बसों के माध्यम से भी यहाँ सुगमतापूर्वक आ सकते हैं|
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के पास घूमने लायक पर्यटन स्थल-
पंचवटी, अंजनेरी पर्वत, पांडव लेनी गुफ़ाएं तथा ब्रम्हगिरी पर्वत आदि त्र्यंबकेश्वर मंदिर के पास घूमने के स्थान हैं|