उदयपुर में घूमने की जगह : Best Places to Visit in Udaipur: राजस्थान यात्रा 12

“झीलों का शहर’ के नाम से देश भर में मशहूर उदयपुर जिसका नाम लेने से मन में एक अलग ही कल्पना हो जाती है जिस कल्पना का रूप साकार करने के लिए उदयपुर में घूमने की जगह के बारे में पता होना चाहिए, जिसमें हरियाली से भरे इस शहर में हर तरफ झीलें और साथ ही साथ राजस्थान की संस्कृति की छवि दिखने लगती है|

उदयपुर शहर की स्थापना वर्ष 1559 में महाराणा उदय सिंह द्वितीय ने की थी जो कि अपनी खूबसूरत झीलों, शानदार किलों, महलों, अध्यात्म से परिचित कराते हुए मंदिरों, वन्यजीव अभयारण्यों तथा संग्रहालयों के लिए जाना जाता है| अरावली पर्वतमाला के बीच में बसा हुआ उदयपुर, प्रकृति और संस्कृति का मिश्रण है जो अपनी खूबसूरती और खुशनुमे मौसम के कारण हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता रहता है|

आम तौर पर जब राजस्थान की बात आती है तो सभी के मन में रेगिस्तान, गर्मी तथा पानी की कमी वाले राज्य की अलग सी छवि बन जाती है लेकिन इस छवि को धुंधला करता हुआ उदयपुर, “वेनिस ऑफ द ईस्ट’ के नाम से भी जाना जाता है जो अपनी खूबसूरती से देश के कोने-कोने से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है| तो इस आकर्षण को और करीब से निहारने के लिए आगे बढ़ते हैं और जानते हैं उदयपुर के पर्यटन स्थल के बारे में विस्तार से|

उदयपुर में घूमने की जगह को कैसे करें प्लान?

आप अपने शहर से ट्रेन, फ्लाइट और बस के माध्यम से आसानी से उदयपुर तक आ सकते हैं| उदयपुर में महाराणा प्रताप एयरपोर्ट है जहां आपको देश के प्रमुख शहरों से फ्लाइट उपलब्ध रहती है| झीलों के शहर को एक्सप्लोर करने के लिए किसी भी साधन या किसी भी सुविधा की कोई कमी नहीं है तो देर किस बात की? जल्दी से बैग पैक करिए और निकल चलिए हमारे साथ इस उदयपुर यात्रा पर|

उदयपुर में घूमने की जगह को कब करें प्लान?

वैसे तो राजस्थान राज्य के शहरों को घूमने के लिए बेस्ट टाइम अक्टूबर से मार्च का होता है लेकिन अगर ‘झीलों के शहर’ उदयपुर में घूमने की जगह के लिए बेस्ट टाइम की बात की जाए तो यहाँ आने के लिए सर्दी का समय तो अच्छा है ही लेकिन मानसून का समय सबसे अच्छा है जिस समय यहाँ की झीलों में बारिश की बूंदे कब समा जाती हैं? पता ही नहीं चलता| जब उदयपुर अपनी झीलों की खूबसूरती के साथ ही साथ हरियाली से भर जाता है जो इसकी सुंदरता में चार चाँद लगाती है|

जब लोग मानसून के टाइम को इन्जॉय करने के लिए ऐसी जगह की खोज में होते हैं जहां लैंडस्लाइड का कोई टेंशन न हो और यह मौसम आपकी ट्रिप को और मजेदार बना दे तो ऐसे में मानसून के समय उदयपुर यात्रा का प्लान करना एक बेस्ट निर्णय हो सकता है|

उदयपुर में घूमने की जगह

सिटी पैलेस

जैसे ही आप प्रवेश करते हैं इसकी खूबसूरती आपकी आँखों में अपनी खूबसूरती से चमक ला देती है| अंदर आने पर भले ही यह एक नए और खूबसूरत किले जैसा प्रतीत होता है लेकिन इसका इतिहास उतना ही पुराना है| इसका निर्माण कार्य 1553 ई. में महाराणा उदय सिंह द्वारा शुरू कराया गया था जिसके बाद मेवाड़ के कई शासकों ने महल परिसर के विकास हेतु अपना योगदान दिया|

जब आप महल के अंदर जाते हैं तो अपने आप राजा-महाराजाओं वाली फीलिंग आने लगती है जिसमें अगल-बगल बनाए गए हाथी इस शाही निवास में चार चाँद लगाते हैं| यहाँ के राजकीय संग्रहालय से लेक पिछोला का भी दीदार किया जा सकता है| हालांकि यहाँ की एंट्री फीस थोड़ी ज्यादा है लेकिन अगर आप स्टूडेंट है, डिफेन्स, पैरामिलिट्री या पुलिस फोर्स के हैं या फिर वरिष्ठ नागरिक की श्रेणी में आते हैं तो आपको एंट्री फीस में डिस्काउंट भी दिया जाता है बस आपके पास आपका स्टूडेंट आई-कार्ड, डिफेन्स का पहचान पत्र और वरिष्ठ नागरिकों के लिए एक पहचान पत्र जरूरी है| दिव्यांगजन के लिए एंट्री फ्री है|

आप चाहे तो पूरा न घूम के इसका दीदार बाहर से भी कर सकते हैं तो इसकी एंट्री फीस कम की है| यहाँ पर घूमने के लिए आपको कम से कम 3-4 घंटे का समय आराम से चाहिए| इतना समय लगेगा तो कुछ पेट पूजा का मन तो होगा ही जिसके लिए यहाँ पर रेस्टोरेंट भी हैं| अगर इतिहास में रुचि के साथ किसी खूबसूरत स्थान को निहारना है बिना बजट के बारे में सोचे तो सिटी पैलेस को उदयपुर में घूमने की जगह में जरूर शामिल करें|

जगदीश मंदिर

सिटी पैलेस के पास में ही स्थित जगदीश मंदिर जहां पर दर्शन हेतु आपको कुछ सीढ़ियाँ चढ़ कर जाना पड़ता है| जगदीश मंदिर का निर्माण महाराणा जगत सिंह ने इंडो-आर्यन शैली में 1651 में कराया था जिसकी स्थापत्य कला आपका मन अवश्य मोह लेगी| भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर अपनी प्राचीनता और आध्यात्मिकता से कई पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है|

मंदिर के बाहर गरूण जी की प्रतिमा भी स्थापित है| मंदिर के द्वार पर बने हाथी इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं तथा मंदिर की नक्कासी आपको बिना पलक झपकाये इसे देखने को लगातार विवश करती रहती है| उदयपुर के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक जगदीश मंदिर को अपनी उदयपुर यात्रा में शामिल कर भगवान विष्णु के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करें|

पिछोला झील

पिछोला झील का निर्माण 1362 ई. में इस क्षेत्र के निवासियों की खपत और सिंचाई की जरूरतों को पूरा करने के उद्देश्य से किया गया था| पिछोला झील जो कि एक कृत्रिम झील है ढलती शाम के साथ अपने सौन्दर्य से पर्यटकों को आकर्षित करती रहती है जिसके कारण लोग नाव की सवारी करके इस खूबसूरती को निहारते हैं| अगर बजट की दिक्कत न हो तो इस झील में नाव की सवारी का आनंद अवश्य लें जो कि थोड़ी महंगी है|

पिछोला झील में ही जगनिवास तथा जगमंदिर भी स्थित है| सूर्यास्त के समय जब ढलते सूरज का प्रभाव इस झील के पानी पर पड़ता है तो उसकी खूबसूरती भी देखते बनती है| उदयपुर की खूबसूरत संरचनाओं सिटी पैलेस, जग मंदिर तथा पहाड़ियों से घिरी हुई पिछोला झील फोटोग्राफी पसंद लोगों के लिए एक वरदान है जो अपनी खूबसूरती को आँखों में बसा लेने के अनगिनत मौके देती है| उदयपुर आए हैं तो उदयपुर के इस नगीने को उदयपुर में घूमने की जगह में शामिल करना हरगिज न भूलें|

गणगौर घाट

ठंडी-ठंडी हवाएं और सामने घाट का पानी हो जिसके किनारे बैठ कर इसकी खूबसूरती निहारने को मिल जाए तो क्या ही कहना? तो क्यों न अपनी इस हसरत को पूरा करने के लिए उदयपुर के पर्यटन स्थल की लिस्ट में गणगौर घाट को शामिल कर कुछ पलों को रंगीन बना लिया जाए जहां पर पक्षियों को दाना भी डाल सकते हैं|

गणगौर घाट से पिछोला झील का नजारा भी बेहद खूबसूरत लगता है| यह स्थान राजस्थान की संस्कृति से जुड़ा होने के साथ ही साथ उदयपुर की खूबसूरती की भी मिशाल पेश करता है जहां पर फ़ोटोज़ लेने वालों की कोई कमी नहीं है| सूर्योदय और सूर्यास्त के समय गणगौर घाट का नजारा शांतिपूर्ण वातावरण और सौन्दर्य से भरा होता है जिसको अपनी उदयपुर यात्रा में शामिल कर अपनी यात्रा की शोभा को और भी बढ़ाया जा सकता है|

फतेह सागर झील

फतेह सागर झील का निर्माण 1678 ई. में किया गया था जिसका नाम महाराणा फतेह सिंह के नाम पर रखा गया है| पिछोला झील की भांति ही यह भी एक कृत्रिम झील है| यहाँ पर भी आप नाव की सवारी का आनंद ले सकते हैं जो कि पिछोला झील से थोड़ा सस्ती है| प्रकृति प्रेमी हों या फोटोग्राफी के शौकीन फतेह सागर झील आपको निराश होने का कोई मौका नहीं देती है जहां आप स्ट्रीट फूड को भी इन्जॉय कर सकते हैं|

सूर्यास्त के समय यहाँ का नजारा भी आँखों में समा जाने वाला है जहां से अरावली पर्वतमाला भी दिखती हैं और शाम का मौसम झील के सौन्दर्य को चरम तक पहुंचाने की भूमिका अवश्य निभाता है| सुकून और सौन्दर्य से भरी हुई यह झील आपको अपनी खूबसूरती को मन में बसा लेने वाले नजारे देती है जहां आप फ़ोटोज़ क्लिक करके इन लम्हों को हमेशा के लिए कैद कर सकते हैं| फतेह सागर झील को उदयपुर यात्रा में शामिल कर आप अपनी यात्रा को और भी सुखद तथा यादगार बना सकते हैं|

बागोर की हवेली

राजस्थानी संस्कृति और परंपराओं का मिश्रण लिए हुए बागोर की हवेली का निर्माण 1751-1781 ई. के बीच मेवाड़ शासक के तत्कालीन प्रधानमंत्री अमर चंद्र बड़वा की देखरेख में हुआ था| यहाँ पर आपको राजस्थान के  विभिन्न सल्तनत के राजाओं की मूर्तियाँ तथा झंडे देखने को मिलेंगे| प्राचीन समय में यहाँ पर राज परिवार के अलावा कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता था| बागोर की हवेली आपको राजस्थान की संस्कृति की झलक दिखाती है जिसमें आपको यहाँ स्थित संग्रहालय में कई तरह की पगड़ियाँ भी देखने को मिलेंगी|

संस्कृति से रूबरू कराने के साथ यह स्थान खूबसूरती से भी ओत-प्रोत है जहां से आप पिछोला झील का शानदार नजारा देख सकते हैं तथा यहाँ से सिटी पैलेस और गणगौर घाट भी दिखते हैं| यहाँ आकर आप राजस्थान के प्रसिद्ध लोकनृत्य का आनंददायी अनुभव कर सकते हैं साथ ही साथ यहाँ पर कठपुतलियों से जुड़े कार्यक्रम भी देखे जा सकते हैं| अगर आप इतिहास और संस्कृति में रुचि रखते हैं तो बागोर की हवेली को उदयपुर के पर्यटन स्थल की सूची में जरूर शामिल करें|

महाराणा प्रताप स्मारक

‘मोतीमगरी’ के नाम से जाना जाने वाला प्रताप स्मारक, फतेह सागर झील के पास में स्थित है| यहाँ पर मोती मगरी के ऊपर चेतक पर सवार महाराणा प्रताप की प्रतिमा स्थापित है| यहाँ पर संग्रहालय भी स्थित है जिसमें मॉडल के माध्यम से चित्तौड़गढ़ दुर्ग, हल्दीघाटी युद्ध भूमि, कुम्भलगढ़ दुर्ग तथा उदयपुर को दर्शाया गया है साथ ही साथ विभिन्न पेंटिंगस के माध्यम से कई वीर सपूतों के योगदान के बारे में बताया गया है|

गर्व और इतिहास को खुद में समाए हुए यह प्रताप स्मारक इतिहास प्रेमियों और प्रत्येक देशवासी का पसंदीदा स्थान है जिसे आपको भी अपनी उदयपुर यात्रा में जरूर शामिल करना चाहिए| हरियाली से ओत-प्रोत यह पार्क फतेह सागर झील का शानदार नजारा भी पेश करता है| इसके साथ ही में आप यहाँ से उदयपुर सिटी की छवि को भी निहार सकते हैं|

सहेलियों की बाड़ी

फतेह सागर झील से मात्र 2 किलोमीटर (लगभग) की दूरी पर स्थित सहेलियों की बाड़ी, अपनी सुंदरता से उदयपुर आने वाले सभी पर्यटक के आकर्षण का केंद्र बना रहता है| इसका निर्माण महाराणा संग्राम सिंह द्वितीय ने सन् 1710 से 1734 के बीच राजपरिवार की महिलाओं के लिए आमोद-प्रमोद हेतु एक खूबसूरत बगीचे के रूप में कराया था, जिस कारण इसका नाम ‘सहेलियों की बाड़ी’ रखा गया|

चारों तरफ हरियाली से सजा हुआ यह स्थान जहां के फाउन्टेन्स इसकी खूबसूरती में चार चाँद लगाने का काम बखूबी करते हैं, उदयपुर के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है| जैसे ही आप यहाँ आते हैं, यहाँ की हरियाली, साफ-सुथरे और व्यवस्थित बगीचे तथा फाउन्टेंस से बहने वाली पानी की आवाज आपका दिन बना देती है| यहाँ की एंट्री टिकट भी आपके बजट को खराब नहीं करेगी| इस खूबसूरत स्थान को अपनी उदयपुर यात्रा में शामिल करके अपनी यात्रा को और भी सुखद और मनोहर अवश्य बनाएं|

सुखाड़िया सर्कल

इस स्थान का नाम राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री मोहनलाल सुखाड़िया के नाम पर रखा गया है जिसमें एक छोटा कुंड है जिसमें 21 फीट लंबे संगमरमर के फाउन्टेंस हैं| बच्चों और परिवार के साथ समय बिताने के लिए एक आदर्श स्थान बना सुखाड़िया सर्कल, जहां जाकर आप बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं|

जगमगाती रोशनी के बीच मस्तानी शाम को बिताने के लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन बने सुखाड़िया सर्कल में आप भिन्न-भिन्न प्रकार के स्ट्रीट फूड का भी आनंद ले सकते हैं| मनोरंजन का साधन बने इस स्थान में आप अपने दोस्तों, परिवार जनों के साथ जाकर अपनी सुबह और शाम को खास बना सकते हैं| सफर की थकान के बाद कुछ पलों को बैठकर इन फाउन्टेंस की खूबसूरती को निहारते हुए अपनों के बीच बिताना है तो इस स्थान को उदयपुर यात्रा में शामिल किया जा सकता है|

सज्जनगढ़ पैलेस

मॉनसून पैलेस के नाम से प्रसिद्ध सज्जनगढ़ पैलेस का निर्माण सन् 1884 में मेवाड़ के महाराणा सज्जन सिंह ने बांसदरा की पहाड़ी पर कराया था| सज्जनगढ़ पैलेस को बनाने का उद्देश्य इसे एक खगोलीय केंद्र बनाना था जहां से मौसम की जानकारी ली जा सके लेकिन महाराणा सज्जन सिंह की असामयिक मृत्यु होने के कारण इस योजना को रद्द कर दिया गया|

एक ऊंची पहाड़ी पर बना यह स्थान सूर्यास्त के अद्भुत नजारों के बीच पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है| सज्जनगढ़ पैलेस को ऐसा स्थान कहा जा सकता है जहां सुंदरता, प्रकृति और इतिहास का मिलन होता है| 944 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह महल संगमरमर से बना हुआ है| आप यहाँ से पूरे शहर तथा आस-पास के क्षेत्र का शानदार नजारा भी देख सकते हैं| उदयपुर तक आए हैं और बजट की परवाह नहीं है तो इस स्थान को उदयपुर में घूमने की जगह में शामिल कर उदयपुर की अद्भुत संरचना को अवश्य निहारें|

करणी माता मंदिर

इस मंदिर का निर्माण महाराजा कर्ण सिंह ने कराया था जहां पर आप रोपवे तथा सीढ़ियों के माध्यम से जाकर माता के दर्शन का अनुभव कर सकते हैं| माँ दुर्गा का अवतार मानी जाने वाली करणी माता के मंदिर से आप उदयपुर शहर के बेहद ही खूबसूरत नजारों को देख सकते हैं| शांति और सुकून से भरे इस स्थान में आप माँ के मंदिर में प्रार्थना करने के साथ ही साथ यहाँ की सुंदरता की छवि को फ़ोटोज़ के माध्यम से अपने पास हमेशा के लिए रख भी सकते हैं|

मंदिर ऊंचाई पर स्थित है और जैसे ही आप इस ऊंचाई पर पहुंचते हैं माँ के दर्शन की लालसा के साथ ही साथ यहाँ से दिखने वाले नजारे बिना पलकों को झपकाए इन्हें लगातार निहारते रहने पर विवश करते रहते हैं| फोटोग्राफी के लिए पसंदीदा स्थान जहां से आप सूर्योदय और सूर्यास्त के अद्भुत नजारों को भी देख सकते हैं| अपनी उदयपुर यात्रा में करणी माता मंदिर को शामिल कर अपनी यात्रा को शांति और आध्यात्मिकता से भी परिपूर्ण किया जा सकता है|

अन्डर द सन एक्वेरियम

बच्चों का पसंदीदा स्थान बना अन्डर द सन एक्वेरियम जहां आप कई प्रकार की रंग-बिरंगी मछलियों को देख सकते हैं| फतेह सागर झील के पास में स्थित यह स्थान लोकल तथा पर्यटक दोनों के ही आकर्षण का केंद्र बना रहता है जहां सभी अपने दोस्त और परिवारजनों के साथ आकर यहाँ मौज-मस्ती करते हैं|

मरीन लाइफ को पसंद करने वालों के लिए यह स्थान बेस्ट है जहां जाकर समुद्री जीवों को करीब से देखना भी एक नया अनुभव है| यहाँ पर आप फिश स्पा तथा 3-D फोटोग्राफी को भी इन्जॉय कर सकते हैं| बच्चों के साथ हैं तो इस स्थान को उदयपुर में घूमने की जगह में शामिल कर सकते हैं|

लेक पैलेस

पिछोला झील के बीच में स्थित लेक पैलेस, जग निवास के नाम से भी जाना जाता है| इसका निर्माण महाराजा जगत सिंह द्वितीय ने सन् 1746 में अपने आराम करने हेतु बनवाया था| ग्रीष्मकालीन महल के रूप में प्रसिद्ध ‘जग निवास’ तक आप नाव द्वारा पहुँच सकते हैं क्योंकि यह महल एक द्वीप पर बना है|

यहाँ पर रंग-बिरंगी लाइट्स के माध्यम से सजे हुए उद्यान तथा फाउन्टेंस भी हैं जो इसकी शोभा में चार चाँद लगाने का काम बखूबी करते हैं| लग्जरी लाइफ के शौकीन हैं तो इस स्थान को उदयपुर में घूमने की जगह में जरूर शामिल करें|

भारतीय लोक कला मंडल  

यह एक सांस्कृतिक संस्थान है जहां आप राजस्थान, मध्य प्रदेश तथा गुजरात की संस्कृति, लोक कला, गीतों और त्यौहारों के बारे में अध्ययन कर सकेंगे| यहाँ स्थित संग्रहालय में आपको राजस्थानी संस्कृति की विभिन्न कलाकृतियाँ देखने को मिलेंगी| यहाँ पर आपको कठपुतलियों से जुड़े कार्यक्रम भी देखने को मिलेंगे जो पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने रहते हैं|

संस्कृति के बारे में जानने में रुचि हो तो इस स्थान को अपनी उदयपुर यात्रा में जरूर शामिल करें|

जग मंदिर

जग मंदिर, पिछोला झील के बीच में एक अन्य द्वीप पर बना हुआ है| इसका निर्माण कार्य 1620 में शुरू हुआ था| इसका उपयोग शाही परिवारों द्वारा गर्मियों के समय में उत्सवों की मेजबानी करने हेतु किया जाता था| अगर आप पिछोला झील में बोटिंग करते हैं तो बोटिंग के दौरान ही इसका सुंदर रूप आपका मन मोह लेता है जिसके कारण हर किसी का मन इसकी सुंदरता को करीब से निहारने का अवश्य करता है|

शाही अंदाज को पेश करता हुआ जग मंदिर अद्भुत वास्तुकला की मिशाल बना हुआ है| फोटोग्राफी के शौकीन हो, इतिहास को जानना चाहते हों, सुंदरता को निहारना हो या पार्टनर के साथ कुछ हसीन पलों को बिताने के इच्छुक हों, यह स्थान आपके लिए एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है जिसे आपको उदयपुर के पर्यटन स्थल की सूची में जरूर शामिल करना चाहिए|

शिल्पग्राम

राजस्थान की संस्कृति से रूबरू होना हो तो शिल्पग्राम को उदयपुर में घूमने की जगह में जरूर शामिल करें क्योंकि यहाँ आकर आपको जो राजस्थान की खुशबू महसूस होगी वही असली राजस्थान है| पूरे राजस्थान का समावेश किए हुए शिल्पग्राम राजस्थान के अलग-अलग क्षेत्र की संस्कृति, रहन-सहन तथा राजस्थान के लोक नृत्य की प्रस्तुति भली-भांति करता है|

अगर गाँव का एहसास करना चाहते हैं तो शिल्पग्राम आपके लिए बेस्ट डेस्टिनेशन है जो कि उदयपुर शहर से लगभग 7.6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक शिल्प केंद्र है|

हाथी पोल मार्केट

राजस्थान के झीलों के शहर आए हों और शॉपिंग नहीं की यह कैसे हो सकता है? तो आपके शॉपिंग के अनुभव को मजेदार बनाने के लिए यहाँ की हाथी पोल मार्केट एक बेहतरीन विकल्प है जहां आप राजस्थान की बांधनी साड़ी से लेकर हैंडीक्राफ्टस सामान तक बहुत कुछ उचित दामों पर ले सकते हैं|

विंटेज कार म्यूजियम

यहाँ पर आपको शाही परिवारों की विंटेज कारों का संग्रह देखने को मिलेगा| यह कार उदयपुर के महाराणाओं की संपत्ति हुआ करती थी जिनका उपयोग वे लोग अपने शानदार यातायात के रूप में करते थे| अगर ऑटोमोबाइल सेक्टर में आपकी रुचि है तो इस स्थान को अपनी उदयपुर यात्रा में शामिल कर सकते हैं|

दूध तलाई झील

पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी दूध तलाई, पिछोला झील की ओर जाने वाली सड़क पर स्थित है जो कि कई छोटी पहाड़ियों के बीच में बसी है| माणिक्य लाल वर्मा गार्डन तथा दीन दयाल उपाध्याय पार्क, दूध तलाई का हिस्सा हैं| आप इसकी सुंदरता को निहारने के लिए सूर्यास्त के समय जा सकते हैं जिस समय ढलते सूरज का हल्का प्रकाश इस झील के पानी पर पड़कर इसकी सुंदरता को और बढ़ा देता है साथ ही साथ मौसम भी इन हसीन पलों में चार चाँद लगाने का काम करता है|

आप यहाँ बोटिंग का भी आनंद ले सकते हैं| शाम के समय पर्यटकों की भीड़ को देखकर इसकी खूबसूरती का अंदाजा लगाया जा सकता है| हरियाली से घिरे हुए इस स्थान में आप दोस्तों और परिवार के लोगों के साथ कुछ यादगार लम्हें जरूर बिता सकते हैं| उदयपुर की खूबसूरती बयान करते हुए इस नगीने को भी उदयपुर के पर्यटन स्थल की सूची में जरूर शामिल करें|

इसे भी पढ़ें-

अब आप उदयपुर यात्रा का प्लान कर रहें हैं तो इसी के साथ आप राजस्थान के अन्य शहरों की ओर भी अपना रुख मोड़ सकते हैं| राजस्थान से जुड़ी किसी अन्य प्रकार की जानकारी के लिए हमारे दूसरे लेख ‘राजस्थान में घूमने की जगह’ को भी पढ़ें|

उदयपुर कैसे पहुँचें?

  • हवाईमार्ग द्वारा- उदयपुर में महाराणा प्रताप एयरपोर्ट है जो कि मुख्य शहर से लगभग 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है| यह देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से हवाई मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है|
  • रेलमार्ग द्वारा- उदयपुर में रेलवे स्टेशन भी है जो कि देश के अन्य प्रमुख शहरों जैसे दिल्ली, कोलकाता, कोटा, मुंबई तथा जयपुर आदि से अच्छी तरह से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है|
  • सड़क मार्ग द्वारा- उदयपुर आप अपने साधन के माध्यम से भी आसानी से आ सकते हैं क्योंकि इसकी खूबसूरती को निहारने का यह भी एक अच्छा जरिया है| इसके अलावा आप बस के माध्यम से भी उदयपुर आ सकते हैं| आपको जयपुर, इंदौर, कोटा तथा अहमदाबाद जैसे शहरों से आसानी से उदयपुर के लिए बस की सुविधा मिल सकती है|

FAQ-

प्रश्न- दिल्ली से उदयपुर की दूरी कितनी है?

उत्तर- दिल्ली से उदयपुर की दूरी लगभग 660 किलोमीटर है|

प्रश्न- उदयपुर में घूमने की जगह कौन-कौन सी हैं?

उत्तर- राजस्थान के झीलों की अद्भुत सुंदरता लिए हुए उदयपुर शहर में घूमने की जगह की कोई कमी नहीं है| सिटी पैलेस, जगदीश मंदिर, फतेह सागर झील, जग मंदिर, लेक पैलेस, विंटेज कार म्यूजियम, दूध तलाई झील, हाथी पोल मार्केट, अन्डर द सन एक्वेरियम, सज्जनगढ़ पैलेस, करणी माता मंदिर, पिछोला झील, गणगौर घाट, बागोर की हवेली, महाराणा प्रताप स्मारक, सुखाड़िया सर्कल, सहेलियों की बाड़ी, सुखाड़िया सर्कल तथा शिल्पग्राम आदि उदयपुर के पर्यटन स्थल हैं|

प्रश्न- उदयपुर घूमने के लिए कितने दिनों का समय चाहिए?

उत्तर- झीलों के इस खूबसूरत शहर को तो जितने दिन निहारा जाए कम ही लगता है फिर भी उदयपुर में घूमने की जगह आपको कम से कम 3-4 दिन का प्लान करना चाहिए जिससे आप अपनी उदयपुर यात्रा को अच्छे से इन्जॉय कर सकें|

इसी के साथ हमारा लेख ‘उदयपुर में घूमने की जगह’ यहीं समाप्त होता है| वैसे तो उदयपुर में घूमने की जगह की कोई कमी नहीं है लेकिन फिर भी हमने हमारे अनुसार आपको उदयपुर के चयनित स्थानों की पूरी जानकारी देने की कोशिश की है जिसको उदयपुर आने वाले पर्यटक को अपनी उदयपुर यात्रा में शामिल करना चाहिए| आशा करते हैं हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे और यह लेख उदयपुर यात्रा में आपकी मदद करेगा| धन्यवाद| आपकी यात्रा मंगलमय हो|

यह भी जानें-

Deeksha Dixit

Writer & Blogger

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मेरा नाम दीक्षा दीक्षित हैं मुझे लगता हैं कि मेरा परिचय सबसे पहले मेरी बेटी से ही शुरू होना चाहिए|

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