मथुरा में घूमने की जगह (ब्रज यात्रा विवरण-2)

भारत की सप्त पुरियों में से एक मथुरा का नाम आते ही श्रीकृष्ण के बाल लीलाओं का चित्र अपने आप ही मन में बन जाता हैं|

भारत ही नहीं पूरे विश्व में पवित्र नगरी मथुरा का नाम कृष्ण भक्ति के लिए प्रसिद्ध है| आइये जानते है ब्रजभूमि का दिल कहे जाने वाले मथुरा में घूमने की जगह के बारे में तथा इस ब्रज यात्रा को कैसे प्लान करना आपके लिए बेहतर रहेगा, सबकुछ जानेंगे ‘मथुरा में घूमने की जगह’ आर्टिकल में विस्तार से|

यमुना नदी के किनारे बसा यह पवित्र तथा प्राचीन धार्मिक नगर, देश की राजधानी से 162 किलोमीटर, तथा राज्य की राजधानी लखनऊ से 377 किलोमीटर दूर स्थित हैं| मथुरा के नजदीक का निकटतम प्रमुख शहर आगरा हैं जिसकी दूरी लगभग 57 किलोमीटर है|

ब्रजधाम के केंद्र बिंदु मथुरा में प्रमुख स्थान श्रीकृष्ण जन्मभूमि, श्री द्वारिकाधीश मंदिर, विश्राम घाट, कंस किला,  बिरला मंदिर, श्री दाऊ जी महाराज मंदिर, बाबा जय गुरुदेव मंदिर, गवरमेंट म्यूजियम मथुरा हैं| मथुरा एक ऐसा स्थान हैं जहाँ सबसे अधिक विदेशी पर्यटक भारत में किसी धार्मिक स्थान के दर्शन करने आते हैं|  

मथुरा में घूमने की जगह का पौराणिक महत्व-

 लगभग 2500 वर्ष पुरानी भारत की सात आध्यात्मिक नगरी में से एक मथुरा का जिक्र महाकाव्य रामायाण में भी मिलता है| प्राचीनकल में इसे मधुवन के नाम से जाना जाता था, कुछ जगह इसे मधुपुर के नाम से भी संबोधित किया गया है जो कालान्तर में मथुरा के नाम से प्रसिद्ध हुआ| भगवान कृष्ण द्वारा मथुरा के अत्याचारी कंस के वध की कथाएँ भी इसी धरती से जुडी हैं, कंस मथुरा का शासक तथा कृष्ण जी के मामा भी थे|

 400 ईसवी में आये चीनी यात्री फाहयान नें इसे मंदिरों के शहर की संज्ञा दी थी| 1018 ईसवी में महमूद गजनवी ने यहाँ पर आक्रमण कर काफी मंदिरों को तोड़ कर खूब धन सम्पदा लूट ली| यहाँ के मंदिरों को तोड़ने का कार्य औरंगजेब के समय भी हुआ परन्तु प्राचीन परम्परा के धनी इस शहर की संस्क्रति को कोई छू भी नहीं पाया|

मथुरा में घूमने की जगह को कैसे करे प्लान?

भारत के किसी भी कोने से आप मथुरा शहर, ट्रेन तथा बस इत्यादि से काफी आसानी से आ सकते हैं| फ्लाइट की सुविधा के लिए अभी मथुरा शहर में कोई एयरपोर्ट नहीं है| मथुरा में घूमने की जगह काफी पास पास हैं| मथुरा में घूमने की जगह की संख्या काफी हैं परन्तु इसे आसानी से एक दिन में घूमा जा सकता है| धर्मनगरी मथुरा में घूमने की जगह के साथ साथ आपको ब्रज के अन्य क्षेत्र में भी जाना चाहिये| मथुरा से 12 किलोमीटर दूर वृन्दावन है जहाँ आसानी से बस तथा टैक्सी से पहुँच सकते है| इसके अलावा गोवर्धन, बरसाना, नंदगाँव आदि प्रमुख धार्मिक स्थान हैं|

    मथुरा में घूमने की जगह आने पर आप मथुरा में रुक सकते हैं परन्तु वृन्दावन में होटल लेना सबसे उचित रहेगा| ब्रज के सभी क्षेत्रों में आसानी से बजट होटल मिल जाते है| यहाँ आने पर आपको यहाँ के लोकल स्ट्रीट फ़ूड जरुर खाना चाहिये| इस धर्म नगरी को आप काफी अच्छे से कम बजट में घोम सकते हैं| सनातनी परंपराओं का धनी यह ब्रज का क्षेत्र आतिथ्य सत्कार की भावना रखता है, पर्यटकों को लोकल लोग आवश्यकता पड़ने पर हर संभव मदद करते है|

मथुरा में घूमने की जगह को कब करे प्लान?

मथुरा में घूमने की जगह के लिए सितम्बर से अप्रैल महीने के बीच का समय सबसे बेहतरीन होता है| इस समय न अधिक वर्षा और न ही अधिक गर्मी पड़ती है| दिसंबर तथा जनवरी के समय आने पर यहाँ कड़ाके की सर्दी का सामना करना पड़ सकता है|

मथुरा तथा अन्य ब्रज क्षेत्र की होली विश्व विख्यात है| यहाँ जन्माष्टमी तथा होली के समय आने का भी प्लान कर सकते हैं, परन्तु इस समय यहाँ भारी संख्या में पर्यटक आते हैं| मंदिरों में इन दोनों त्योहार के समय काफी भीड़ होती है| ब्रज के सभी मंदिरों में हफ्ते भर होली मनायी जाती है|

मथुरा में घूमने की जगह-

     श्रीकृष्ण जन्मभूमि

मथुरा में घूमने की जगह में सबसे प्रमुख स्थानों में से एक श्रीकृष्ण जन्मभूमि है| इस स्थान की मान्यता भगवान कृष्ण के जन्म स्थान के तौर पर है| नागर शैली में बना यह स्थान तीन मंदिरों का समूह है| इस विशाल मंदिर परिसर में गर्भगृह मंदिर, केशवदेव मंदिर तथा भागवत भवन है| पास में ही औरंगजेब द्वारा प्राचीन मन्दिर के स्थान पर बनी मस्जिद भी स्थित है|

मथुरा में घूमने की जगह,
श्रीकृष्ण जन्मभूमि
photo source- flickr.com

       मथुरा जंक्शन से मात्र 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस पवित्र स्थान में किसी भी तरह के इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ले जाना मना है| आप अपने मोबाइल तथा कैमरे इत्यादि पास में स्थित कई स्थानों में जमा कर सकते हैं| यह मंदिर दर्शन हेतु सुबह 05:00 बजे से दोपहर 12:30 तथा सायंकाल 4 बजे से 08:30 बजे तक खुलता है|

 श्री द्वारिकाधीश मंदिर

श्री द्वारिकाधीश मंदिर, मथुरा के सबसे बड़े तथा भव्य मंदिरों में से एक है| 1814 में बने इस मंदिर की स्थापना सेठ गोकुल दास पारीख जी ने की थी| 200 वर्ष पुराना यह प्राचीन मंदिर राजस्थानी शैली में बना है| यहाँ भगवान श्रीकृष्ण की आराधना द्वारिका के राजा के रूप में की जाती है| इस मंदिर की उपासना पद्धति पुष्टमार्गीय है|

इस मंदिर की श्रीकृष्ण जन्मभूमि से 1.8 तथा मथुरा जंक्शन से 4.4 किलोमीटर की दूरी है| यहाँ से 500 मीटर की दूरी पर विश्राम घाट स्थित है| इस मंदिर में काफी भीड़ होती है| मंदिर खुलने का समय सुबह 06:30 से 10:30 तथा शाम को 03:30 से 06:00 है|

 विश्राम घाट

विश्राम घाट का मथुरा के सभी घाटों में विशिष्ट स्थान है| मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने कंस के वध के पश्च्यात इसी घाट पर विश्राम किया था| यहाँ श्रद्धालु आकर यमुना जी में स्नान करते है| काफी संख्या में पर्यटक यहाँ पर नौकायन भी करते है| यमुना जी की आरती देखने के लिए इस स्थान को मथुरा में घूमने की जगह में प्राथमिकता दी जा सकती है|      

कंस किला

यमुना नदी के तट पर बसा यह विशाल परिसर वाला किला काफी ऊंचाई पर स्थित है| मान्यताओं के अनुसार यह किला महाभारत काल का है तथा कंस से सम्बंधित है| इसका पुनर्निर्माण का कार्य राजा मान सिंह प्रथम के द्वारा कराया गया|

श्री दाऊजी महाराज मंदिर

यह मंदिर वल्लभ संप्रदाय का सबसे प्राचीन मंदिर है जो कि कृष्ण के बड़े भाई बलराम जी से सम्बंधित है| यहाँ पर बलराम जी और माता रेवती के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है| साथ ही साथ यहाँ पर मदन मोहन जी तथा अष्टभुज गोपाल जी के विग्रह के भी दर्शन होते हैं| मंदिर के पास में ही एक तालाब भी है, जिसे क्षीर सागर के नाम से जाना जाता है|

यमुना नदी के तट पर स्थित इस मंदिर को गोपाल लालजी का मंदिर भी कहते हैं| यहाँ पर प्रत्येक साल होली में महोत्सव होता है, जिसे हुरंगा कहते है| यह त्यौहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है|

बाबा जय गुरुदेव मंदिर

बाबा जय गुरुदेव का भव्य मंदिर जिसको योग साधना मंदिर भी कहा जाता है| मंदिर का वातावरण बहुत ही शांत और सुखद अनुभव देने वाला है| मंदिर की वास्तुकला आपको अवश्य ही अपनी ओर आकर्षित करेगी|

गवर्नमेंट म्यूजियम मथुरा

अगर आप इतिहास में रूचि रखते हैं, तो आपको अवश्य ही इस स्थान को मथुरा में घूमने की जगह में शामिल करना चाहिए| यहाँ पर कुषाण और गुप्त साम्राज्यों से जुडी पुरातात्विक कलाकृतियाँ हैं| यहाँ जैन धर्म तथा बौद्ध धर्म से जुडी कई मूर्तियाँ हैं|

बिड़ला मंदिर

इस मंदिर को गीता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है| यहाँ पर कृष्ण जी की सुदर्शनधारी प्रतिमा है| यहाँ के स्त्तम्भ पर भगवद गीता लिखी हुई है, इसे गीता स्तम्भ कहते हैं तथा यहाँ पर गीता रथ भी है| इस मंदिर का निर्माण जुगल किशोर बिड़ला ने कराया था|

बिड़ला मंदिर में प्रभु राम संग सीता जी तथा लक्ष्मी नारायण के भी मनमोहक दर्शन होते हैं| यहाँ पर दक्षिणमुखी हनुमान जी का मंदिर भी है| मंदिर का प्रांगण बहुत ही विशाल तथा भव्य है|

इसे भी पढ़ें-

‘मथुरा में घूमने की जगह’ के साथ ही साथ हमारा अन्य लेख ‘ब्रजधाम में घूमने की जगह’ भी पढ़ें| इससे आपको यात्रा से सम्बंधित और अधिक जानकारी प्राप्त होगी|

अन्य किसी जानकारी के लिए मथुरा की ऑफिसियल वेबसाइट https://mathura.nic.in/ देखें|

मथुरा कैसे पहुँचे?

हवाई मार्ग द्वारा- अभी मथुरा में कोई एअरपोर्ट नहीं है| मथुरा के सबसे नजदीक का एअरपोर्ट, आगरा एअरपोर्ट है जिसकी दूरी 62 किलोमीटर है| आप आगरा एअरपोर्ट तक आकर उसके बाद अपनी सुविधा के अनुसार बस या टैक्सी के द्वारा मथुरा आ सकते हैं|

रेलमार्ग द्वारा- आप आसानी से अपने शहर से ट्रेन के माध्यम से मथुरा आ सकते हैं|

सड़क मार्ग द्वारा- मथुरा आप सड़क मार्ग से आसानी से पहुँच सकते हैं| मथुरा के अन्दर भी आपको बस, टैक्सी की किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होगी|

FAQ-

प्रश्न- मथुरा में घूमने की जगह कौन-कौन सी हैं?

उत्तर- श्रीकृष्ण जन्मभूमि, श्री द्वारिकाधीश मंदिर, विश्राम घाट, कंस किला, बिड़ला मंदिर, श्री दाऊजी महाराज मंदिर, बाबा जय गुरुदेव मंदिर तथा गवर्नमेंट म्यूजियम आदि मथुरा में घूमने की जगह हैं|

प्रश्न- श्री द्वारिकाधीश मंदिर की क्या विशेषता है?

उत्तर- 200 वर्ष पुराना यह मंदिर राजस्थानी शैली में बना है| यहाँ श्रीकृष्ण जी की पूजा द्वारिका के राजा के रूप में की जाती है|

प्रश्न- बिड़ला मंदिर में कौन-कौन भगवान के दर्शन होते हैं?

उत्तर- यहाँ पर कृष्ण जी की सुदर्शनधारी प्रतिमा है| बिड़ला मंदिर में प्रभु राम संग सीता जी तथा लक्ष्मी नारायण के भी मनमोहक दर्शन होते हैं|

हमारे लेख को अंत तक पढ़ने के लिए आपका बहुत-बहुत आभार| आशा करते हैं आपको हमारा लेख पसंद आया होगा| इसी तरह हमारे अन्य लेख भी पढ़ें और हमसे जुड़े रहें| जय जय श्री राधे!

यह भी जानें-

Deeksha Dixit

Writer & Blogger

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मेरा नाम दीक्षा दीक्षित हैं मुझे लगता हैं कि मेरा परिचय सबसे पहले मेरी बेटी से ही शुरू होना चाहिए|

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