जय हो बाबा महाकाल| महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगो में से एक है जो कि स्वयंभू माना जाता है| अपने अंदर समेटे हुए विभिन्न मंदिरों की पवित्रता के कारण शिप्रा नदी के तट पर स्थित उज्जैन, मध्य भारत का एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल बना हुआ है| इसके धार्मिक और पौराणिक महत्व से कोई अज्ञात नहीं है| भगवान कृष्ण की शिक्षा स्थली रहा उज्जैन जिसकी गरिमा महाकाल बढ़ाते हैं|
कहा जाता है अवन्तिका पुरी के राजा विक्रमादित्य, बाबा महाकाल के भक्त थे और महाकाल के आशीर्वाद से ही राजा विक्रमादित्य ने उज्जैन में 132 वर्षों तक राज किया| उनके अलावा किसी ने भी यहाँ पर राज नहीं किया क्योंकि उज्जैन के राजा स्वयं बाबा महाकाल हैं|
भक्तों द्वारा बम बम भोले के नारों से गूंजने वाला महाकालेश्वर मंदिर, किसी भी तरह के परिचय का मोहताज नहीं है| कालिदास से लेकर कई संस्कृत के कवि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की आध्यात्मिकता का बखान करते हैं| जैन परंपरा में भी हमारे महाकाल का स्मरण हमेशा से भिन्न-भिन्न संदर्भों में होता ही रहा है| हम तो आज बस महाकाल के भक्त होने के नाते अपना एक फर्ज अदा कर रहें हैं महाकाल के अन्य भक्तों को महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन से जुड़ी सभी तरह की जानकारी प्रदान कर के|
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महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन की प्राचीनता के बारे में कुछ निश्चित नहीं है लेकिन फिर भी कई प्राचीन ग्रंथों में इसकी भव्यता का उल्लेख किया गया है| महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन, देश का एक मात्र ऐसा ज्योतिर्लिंग है जो कि दक्षिण मुखी है जहां पर भगवान शिव अपने भक्तों को कालों के काल महाकाल के रूप में दर्शन देते हैं जहां पर माँ पार्वती, पुत्र गणेश और कार्तिकेय के चित्र भी स्थापित हैं साथ ही साथ दक्षिण में नंदी की प्रतिमा भी है|
महाकालेश्वर मंदिर में महाकालेश्वर, ओंकारेश्वर तथा नागचंद्रेश्वर, शिवलिंग के रूप में विराजमान हैं जिसमें से नागचंद्रेश्वर के दर्शन केवल नाग पंचमी के दिन ही किये जा सकते हैं| मंदिर परिसर के अंदर एक दिव्य कुंड भी है| मुख्य मंदिर के दक्षिणी भाग में कई छोटे शैव मंदिर भी हैं जिनकी वास्तुकला उल्लेखनीय हैं तथा जिनमें अनादि कल्पेश्वर, वृद्ध महाकालेश्वर और सप्तर्षि मंदिर प्रमुख हैं|
“अकाल मृत्यु वो मरे जो काम करे चांडाल का,
काल उसका क्या करे जो भक्त हो महाकाल का|”
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी पौराणिक कथा-

रत्नमाल पर्वत पर एक राक्षस दूषण रहता था जिसने ब्रम्हा जी से मिले वरदान के मद में उज्जैन में आतंक मचा के रखा था जिससे उज्जैन के लोग काफी परेशान रहते थे जिसके कारण एक ब्राह्मण ने शिव जी की तपस्या की जिससे प्रसन्न होकर शिव जी प्रकट हुए और अपने भक्तों के कष्टों को दूर करने के लिए उन्होंने दूषण का वध किया जिसके बाद भक्तों ने शिव जी से यहीं पर रुकने का आग्रह किया तब बाबा महाकाल अपने भक्तों की बात मानकर स्वयं को यहाँ पर महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित कर लिए|
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग को कब करें प्लान?
मौसम की अनुकूलता के अनुसार बात की जाए तो महाकालेश्वर मंदिर जाने के लिए बेस्ट टाइम अक्टूबर से मार्च के बीच का है क्योंकि इसके अलावा यहाँ पर गर्मी बहुत पड़ती है और दर्शन हेतु लाइन में लगने में आपको परेशानी हो सकती है|
अगर किसी विशेष त्यौहार की बात करें तो महाकालेश्वर मंदिर में महाशिवरात्रि और सावन के महीने में महाकाल के दर्शन का विशेष महत्व है| इस समय भारी मात्रा में शिव भक्तों का हुजूम महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन हेतु यहाँ आता है|
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी प्रथाएं-

महाकालेश्वर मंदिर में सदियों से एक प्रथा चली आ रही है, प्राचीन ग्रंथों के अनुसार राजा भोज ने महाकाल की सवारी की परंपरा प्रारंभ की जिसको सिंधिया वंश के राजाओं द्वारा और अधिक भव्य तरह से बनाया गया जिसके अनुसार सावन के सोमवार पर महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन द्वारा बाबा महाकाल की सवारी निकाली जाती है| रास्ते भर महाकाल के नारों से गूँजती हुई यह सवारी, महाकालेश्वर मंदिर से निकल कर राम घाट को जाती है जिसमें पूरे रास्ते महाकाल के भक्तों की भीड़ इस सवारी में शामिल होकर महाकाल के आशीर्वाद से झूमती है|
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वारा दी जाने वाली ऑनलाइन सुविधाएं-

महाकालेश्वर लाइव दर्शन-
आप महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की ऑफिसियल वेबसाइट के माध्यम से महाकाल के लाइव दर्शन का अनुभव कर सकते हैं|
महाकालेश्वर भस्म आरती-
आप महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन की ऑफिसियल वेबसाइट के माध्यम से भस्म आरती में शामिल होने के लिए भी आवेदन कर सकते हैं जिसमें उपलब्धता के आधार पर आपको स्लॉट बता दिया जाता है| आप आगे के लिए भी एडवान्स में बुकिंग करा सकते हैं क्योंकि यह स्लॉट बहुत ही जल्दी भर जाते हैं|
भस्म आरती के लिए गाय के कंडे जलाकर जो राख बनती है, उसका इस्तेमाल भस्म के रूप में किया जाता है|
दान-
आप महाकालेश्वर मंदिर की ऑफिसियल वेबसाइट द्वारा मंदिर के लिए दान भी कर सकते हैं जिसके लिए आपको आपकी पर्सनल डिटेल्स जैसे नाम, पिता का नाम, मोबाइल नंबर, पता, आईडी प्रूफ और पेमेंट गेटवे से जुड़ी सभी जानकारियों की जरूरत पड़ती है जिसके बाद आपका नाम और धनराशि मंदिर की साइट पर दिखाए जाते हैं|
शीघ्र दर्शन-
अगर किसी के पास किसी कारणवश समय की कमी है या किसी प्रकार के शारीरिक कष्ट के कारण चलने में किसी प्रकार की असुविधा है तो आप शीघ्र दर्शन के माध्यम से बिना लंबी कतारों के जल्दी दर्शन कर सकते हैं जिसके लिए आपको ऑनलाइन या ऑफलाइन आवेदन करना होगा| ऑनलाइन आवेदन केवल महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन की ऑफिसियल वेबसाइट द्वारा ही करें| ऑफलाइन आवेदन के लिए मंदिर परिसर में काउन्टर बने हुए हैं|
शीघ्र दर्शन की सुविधा के लिए यदि आवेदन ऑनलाइन किया गया है तो आपको यह टिकट प्रिन्ट करवाकर मंदिर परिसर में ले जाना होगा| इस टिकट को चेक करने के बाद ही दर्शनार्थियों को शीघ्र दर्शन की अनुमति दी जाती है|
पूजन बुकिंग-
अगर किसी की महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में पूजन कराने की इच्छा है तो मंदिर परिसर द्वारा यह सुविधा भी भक्तों हेतु है जिसमें आप पहले से बुकिंग करा कर कालों के काल महाकाल की पूजा का अवसर प्राप्त कर सकते हैं| जिसमें आप मंदिर के शास्त्रियों द्वारा शिव महिम्न पाठ, लघुरुद्राभिषेक, महारुद्राभिषेक, सामान्य पूजा, महामृत्युंजय, एक ब्राह्मण द्वारा रुद्राभिषेक वैदिक पूजा, एक ब्राह्मण द्वारा रुद्राभिषेक रुद्रा पाठ 11 आवर्तन तथा एक ब्राह्मण द्वारा रुद्राभिषेक एकादशमी 11 आवर्तन शिव महिम्न स्त्रोत आदि पूजा सम्पन्न करा सकते हैं|
आप यह बुकिंग ऑफिसियल वेबसाइट के माध्यम से ऑनलाइन भी कर सकते हैं जिसके लिए आपको पर्सनल डिटेल्स जैसे नाम, पिता का नाम, राज्य, दिनांक, पूजा, आइडी प्रूफ जैसी जानकारियां देनी पड़ती हैं|
महाकालेश्वर मंदिर परिसर में दी जाने वाली सुविधाएं-
- मंदिर में आने वाले भक्तों के लिए अन्नक्षेत्र में कूपन के आधार पर प्रसाद रूपी भोजन की भी व्यवस्था है जिसका लाभ प्रतिदिन 11 बजे से 9 बजे के बीच में एक हजार से ज्यादा लोग ले पाते हैं| इन निशुल्क कूपन को पाने के लिए मंदिर परिसर के अंदर काउन्टर भी बनाए गए हैं जहां से कूपन लेकर भक्त अन्नक्षेत्र में प्रसाद प्राप्त कर सकते हैं|
- अगर आप चाहें तो आप अपनी श्रद्धा के अनुसार यहाँ दान देकर भी सहयोग प्रदान कर सकते हैं| आप अन्न और धन दोनों माध्यम से यहाँ दान कर सकते हैं|
- आप महाकालेश्वर मंदिर के काउन्टर पर जाकर भी भस्म आरती के लिए आवेदन करा सकते हैं|
- शीघ्र दर्शन के आवेदन के लिए मंदिर परिसर में काउन्टर बने हुए हैं जहां पर आप मंदिर परिसर द्वारा तय शुल्क के माध्यम से शीघ्र दर्शन की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं|
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग कैसे पहुंचे?
हवाई मार्ग द्वारा- उज्जैन में कोई एयरपोर्ट नहीं है| उज्जैन का निकटतम एयरपोर्ट देवी अहिल्याबाई होल्कर इंटरनेशनल एयरपोर्ट है जो कि इंदौर में है| इंदौर एयरपोर्ट से उज्जैन की दूरी 56 किलोमीटर है| आप अपने शहर से इंदौर एयरपोर्ट तक आ सकते हैं जिसके बाद बस या टैक्सी की मदद से महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन पहुँच सकते हैं|
रेलमार्ग द्वारा- उज्जैन में रेलवे स्टेशन है जिसको रेल मार्ग के द्वारा कई प्रमुख शहरों से जोड़ा गया है| आपको सभी प्रमुख शहरों से उज्जैन की ट्रेन मिल जाएगी जिसके माध्यम से आप आसानी से उज्जैन आ सकते हैं|
सड़क मार्ग द्वारा- आप चाहें तो स्वयं के साधन से भी उज्जैन आ सकते हैं लेकिन ट्रैफिक आपको थोड़ा परेशान कर सकता है| आप बस या टैक्सी के माध्यम से भी आसानी से उज्जैन आ सकते हैं और बाबा महाकाल के दर्शन कर सकते हैं|
उज्जैन के प्रमुख पर्यटन स्थल-

महाकालेश्वर मंदिर, काल भैरव मंदिर, वेदशाला, संदीपनी आश्रम, मंगलनाथ मंदिर, गोपाल मंदिर, सिद्धवती, हरसिद्धि मंदिर, चिंतामन गणेश मंदिर तथा त्रिवेणी नवग्रह आदि उज्जैन के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं|
हमने हमारे लेख ‘महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग’ में आपको दर्शन से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी संक्षेप में देने की कोशिश की है| अगर हमारा लेख पसंद आया हो तो अपने परिजनों के साथ अवश्य साझा करें और हमें कमेन्ट के माध्यम से भी बताएं कि इस लेख के माध्यम से आपकी यात्रा में आपको किस प्रकार से सहायता मिली| अब हम हमारी कलाम को यहीं विराम देते हैं| धन्यवाद| बोलिए जय महाकाल|