माँ कामाख्या शक्तिपीठ (असम यात्रा-5)

51 शक्तिपीठों में से एक माँ कामाख्या शक्तिपीठ, असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी में नीलांचल पहाड़ी पर स्थित है| माँ कामाख्या शक्तिपीठ को 51 शक्तिपीठों में सबसे पुराना और पवित्र शक्तिपीठ माना जाता है| यहाँ पर ऐसी मान्यता है कि जो भी मनुष्य यहाँ पर 3 बार दर्शन कर लेता है, उसे संसार के बंधन से मुक्ति मिल जाती है|

कामाख्या मंदिर का जिक्र प्राचीन साहित्यों देवी पुराण, देवी भागवत, योगिनी तंत्र तथा कालिका पुराण आदि में किया गया है| यह मंदिर शक्ति के भिन्न भिन्न रूपों को समर्पित है जैसे बगलामुखी, त्रिपुरा, सुंदरी, तारा तथा छिन्नमस्ता| माँ कामाख्या शक्तिपीठ की एक बात जो इस मन्दिर को सबसे भिन्न बनाती है, वह है कि यहाँ पर पूजन हेतु कोई भी प्रतिमा नहीं है बल्कि यहाँ पर माता सती की योनि की पूजा होती है|

माँ कामाख्या शक्तिपीठ,
कामाख्या मंदिर,
कामाख्या देवालय

माँ कामाख्या शक्तिपीठ पवित्र और प्राचीन होने के साथ ही साथ तांत्रिक शक्तियों का केंद्र भी है जिसके कारण देश विदेश से लाखों की संख्या में लोग यहाँ आते रहते हैं| तांत्रिक और साधू संत भी यहाँ पर आकर साधना करते हैं और अपनी तंत्र विद्या को और अधिक शक्तिशाली बनाते हैं|

माँ कामाख्या शक्तिपीठ का रहस्य-

माँ कामाख्या शक्तिपीठ अपनी अनोखी शक्तियों और तंत्र विद्या के कारण अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है| मान्यता है कि हर साल जून के महीने में 3 दिनों के लिए कामाख्या मंदिर के गर्भ गृह के पट बंद रहते हैं क्योंकि इस समय माँ कामाख्या रजस्वला होती हैं| इस समय मंदिर में पुरुषों का प्रवेश वर्जित होता है और इस समय यहाँ पर अम्बुबाची मेला का आयोजन होता है|

माँ कामाख्या के मासिक धर्म के इन 3 दिन के दौरान मंदिर में एक सफ़ेद वस्त्र रखा जाता है, जो कि 3 दिनों के बाद लाल रंग का हो जाता है, इस वस्त्र को अम्बुबाची वस्त्र कहा जाता है| यह वस्त्र बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है| अम्बुबाची वस्त्र प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित किया जाता है, यह प्रसाद लेने हेतु लोग विदेशों से आते हैं| तांत्रिक अपनी साधना में भी अम्बुवाची वस्त्र का प्रयोग करते हैं|

कहा जाता है कि इन 3 दिनों के दौरान माँ कामाख्या शक्तिपीठ के पास बहने वाली ब्रह्मपुत्र नदी का रंग भी हल्का लाल हो जाता है और इन 3 दिनों में इस नदी में स्नान करना भी वर्जित है| माँ कामाख्या शक्तिपीठ के यह रहस्य, माँ कामाख्या के प्रति भक्तों की आस्था को और अटूट बनाते हैं|  

माँ कामाख्या शक्तिपीठ,
कामाख्या मंदिर,
कामाख्या देवालय,
गुवाहाटी में घूमने की जगह
कामाख्या देवालय

माँ कामाख्या शक्तिपीठ की प्रथा-

माँ कामाख्या अपने सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करती हैं और मनोकामना पूरी होने पर यहाँ पर कन्या भोज और जानवरों की बलि देने की प्रथा भी है| कुछ भक्त उनकी मनोकामना पूरी होने पर कन्या भोज का आयोजन करते हैं तो कुछ भक्त यहाँ पर मनोकामना पूर्ण होने पर जानवरों की बलि भी देते है| बकरे की बलि यहाँ पर सबसे ज्यादा दी जाती है|

माँ कामाख्या शक्तिपीठ की पौराणिक कथा-

सती, प्रजापति दक्ष की पुत्री थीं, जिन्होंने शिव जी से विवाह किया था परन्तु प्रजापति दक्ष इस विवाह से खुश नहीं थे| माता सती के विवाह के उपरांत प्रजापति दक्ष ने यज्ञ कराया, जिसमें प्रजापति दक्ष ने अपने जमाता शिव जी और अपनी पुत्री माता सती के अलावा सभी देवतागण को आमंत्रित किया|

माता सती ने न बुलाने पर भी शिव जी से यज्ञ में जानें की इच्छा प्रकट की, जिस पर शिव जी ने माता सती को मना किया| लेकिन माता सती , शिव जी के मना करने के बाद भी यज्ञ में शामिल होने गयीं| यज्ञ में पहुचने पर माता सती का किसी भी प्रकार का आदर सत्कार नहीं किया गया बल्कि प्रजापति दक्ष ने अपनी पुत्री सती से अपने जमाता शिव जी के लिए अपशब्द कहे|

पिता द्वारा पति का अपमान करने पर माता सती ने उसी यज्ञ की अग्नि में कूद कर स्वयं के प्राणों की आहुति दे दी| जब शिव जी को इस अनहोनी घटना के विषय में ज्ञात हुआ, वह वहां पहुँच कर माता सती के शरीर को उठा कर क्रोध में तांडव करने लगे और माता सती का शरीर लेकर पूरे ब्रह्मांड में घूमने लगे| तब भगवान विष्णु ने शिव जी के मोह को भंग करने और समस्त पृथ्वी को प्रलय से बचाने हेतु अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर के 51 टुकड़े कर दिए और यह टुकड़े जिस-जिस स्थान पर गिरे, वह शक्तिपीठ कहलाये|

माता सती का सबसे पवित्र भाग योनी इस स्थान पर गिरी| आज भी माँ कामाख्या शक्तिपीठ के गर्भगृह में माता सती की योनी पिंड रूप में है जिसके दर्शन हेतु भक्त विदेशों से भी आते हैं|

माँ कामाख्या देवालय के लिए कैसे करें प्लान?

आप कामाख्या मंदिर के साथ-साथ यहाँ की आस पास की जगह भी प्लान कर सकते हैं| आप कामाख्या मंदिर के साथ में ही विश्व के सबसे छोटे नदी द्वीप के रूप में पहचाने जाने वाले श्री उमानंद मंदिर भी आयें, यहाँ पर जाने के लिए आपको फैरी की सवारी मिलेगी जो आपको एक नया और यादगार अनुभव देगी| इसके साथ ही नीलांचल पहाड़ी में पास में ही माँ के दशमहाविद्या मंदिर के भी दर्शन का सौभाग्य प्राप्त करें|

माँ कामाख्या शक्तिपीठ को कब करे प्लान?

वैसे तो सबसे बेस्ट टाइम की बात की जाये तो माँ कामाख्या देवालय के दर्शन हेतु आपको जून में प्लान करना चाहिए, क्यूंकि यही वह समय होता है जब माँ कामाख्या रजस्वला होती हैं, और इस दौरान यहाँ पर अम्बुबाची मेला का आयोजन होता है, जिसमे लोग देश विदेश से आते हैं| इस समय माँ कामाख्या मंदिर 3 दिन तक बंद रहता है, और माँ के गर्भ गृह में एक सफ़ेद वस्त्र भी रखा जाता है जो की 3 दिनों के बाद लाल रंग का हो जाता है, इसे अम्बुबाची वस्त्र कहते हैं| इस वस्त्र को भक्तों को प्रसाद स्वरुप वितरित भी किया जाता है|

इसके अलावा आप नवरात्रि के दिनों में भी यहाँ आ सकते है क्यूंकि यह 51 शक्तिपीठों में से एक शक्तिपीठ भी है| सामान्य दिनों की बात करें तो यहाँ आने के लिए बेस्ट टाइम अक्टूबर से मार्च महीने के बीच का होता है क्यूंकि इस समय यहाँ अधिक वर्षा नहीं होती है| और यहाँ पर सर्दी भी ज्यादा नहीं होती है|

माँ कामाख्या शक्तिपीठ के दर्शन सम्बन्धी जानकारी-

  • माँ कामाख्या शक्तिपीठ के पट दर्शन हेतु सुबह 8 बजे खुलते हैं, लेकिन यहाँ पर आने वाले भक्त सुबह जल्दी ही लाइन में लग जाते हैं जिससे उनके दर्शन जल्दी हो जाते हैं| दोपहर में 1 बजे मंदिर बंद हो जाता है जो की दुबारा 2:30 बजे दर्शन हेतु पुनः खुलता है|
  • 5:15 बजे मंदिर रात्रि के लिए बंद हो जाता है जिसके बाद शाम को 7:30 बजे माँ की आरती होती है जो कि बहुत ही आनंददायी होती है, इसमें आपको अवश्य ही शामिल होना चाहिए|
  • अगर किसी को जल्दी दर्शन करने हों और समय की कमी हो तो आप स्पेशल दर्शन भी कर सकते हैं जिसके लिए आपको 501 रूपए का एंट्री पास दर्शन हेतु लेना होगा| स्पेशल दर्शन की लाइन सुबह 9 बजे लगती है| स्पेशल दर्शन हेतु आप माँ कामाख्या देवालय की ऑफिसियल वेबसाइट से भी अप्लाई कर सकते हैं|
  • सामान्य लोगों के लिए यहाँ पर दर्शन होने में 4-5 घंटे लगते हैं, जबकि स्पेशल दर्शन में 2-3 घंटे लगते हैं, लेकिन यहाँ पर वीकेंड में और त्योहारों पर ज्यादा समय लग सकता है|
  • डिफेंस पर्सन के लिए भी दर्शन हेतु स्पेशल दर्शन की सुविधा है, इसके लिए भी आप ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों तरह से अप्लाई कर सकते हैं| इसके लिए आपको अपना ओरिजिनल डिफेन्स आइडेंटिटी कार्ड दिखाना होगा|
  • स्पेशल दर्शन के लिए 10 साल से छोटे बच्चों के लिए किसी भी पास की आवश्यकता नहीं है|

इसे भी पढ़ें-

अगर आप इससे जुडी हुई और जानकारी चाहते हैं, तो हमारे लेख ’51 शक्तिपीठ’ को भी पढ़ें और गुवाहाटी से जुडी हुई किसी प्रकार की जानकारी हेतु हमारा दूसरा लेख ‘गुवाहाटी में घूमने की जगह’ भी देखें, इससे आपको यहाँ घूमने में काफी सहायता मिलेगी|

माँ कामाख्या शक्तिपीठ कैसे पहुंचें?

हवाई मार्ग द्वारा- आप अपने शहर से फ्लाइट के माध्यम से गुवाहाटी आ जाइये| गुवाहाटी में ‘लोकप्रिय गोपीनाथ बारदोलोई अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र’ है, जिसे गुवाहाटी इंटरनेशनल एअरपोर्ट भी कहा जाता है| आप गुवाहाटी एअरपोर्ट आकर टैक्सी के माध्यम से आसानी से कामाख्या मंदिर जा सकते हैं| गुवाहाटी एअरपोर्ट से कामाख्या मंदिर की दूरी 20 किलोमीटर है|

रेलमार्ग द्वारा- आप अपने शहर से आसानी से रेलमार्ग द्वारा कामाख्या स्टेशन आ सकते हैं| कामाख्या स्टेशन से कामाख्या मंदिर की दूरी 5.4 किलोमीटर है|

अगर आपके शहर से कामाख्या स्टेशन की ट्रेन न हो तो आप गुवाहाटी तक आ सकते हैं, इसके बाद गुवाहाटी से कामाख्या के लिए आपको बस, टैक्सी की सुविधा आसानी से मिल जाएगी| गुवाहाटी स्टेशन से कामाख्या मंदिर की दूरी 7.9 किलोमीटर है|

सड़क मार्ग द्वारा- गुवाहाटी से आपको आस पास के राज्य तथा शहरों के लिए आसानी से बस की सुविधा मिल जाती है और कई शहरों से गुवाहाटी की भी बस की सुविधाएँ उपलब्ध हैं|

FAQ-

प्रश्न- अम्बुबाची मेला कब लगता है?

उत्तर- जून के महीने में जब माँ कामाख्या रजस्वला होती हैं, तब यहाँ पर अम्बुबाची मेला का आयोजन होता है, जिसमे लोग देश विदेश से आते हैं| इस समय माँ कामाख्या मंदिर 3 दिन तक बंद रहता है|

प्रश्न- अम्बुबाची वस्त्र क्या होता है?

उत्तर- माँ कामाख्या के मासिक धर्म के 3 दिन के दौरान मंदिर में एक सफ़ेद वस्त्र रखा जाता है, जो कि 3 दिनों के बाद लाल रंग का हो जाता है, इस वस्त्र को अम्बुबाची वस्त्र कहा जाता है| यह वस्त्र बहुत ही पवित्र और शक्तिशाली माना जाता है| इसे प्रसाद के रूप में भक्तों को वितरित भी किया जाता है|

प्रश्न- कामाख्या मंदिर में स्पेशल दर्शन हेतु कितना शुल्क लगता है?

उत्तर- माँ कामाख्या मंदिर में स्पेशल दर्शन हेतु 501 रूपए का शुल्क लगता है| इसके लिए आप ऑनलाइन तथा ऑफलाइन दोनों माध्यमों से अप्लाई कर सकते हैं|

प्रश्न- कामाख्या मंदिर की गुवाहाटी स्टेशन से दूरी कितनी है?

उत्तर- गुवाहाटी स्टेशन से कामाख्या मंदिर की दूरी 7.9 किलोमीटर है|

आशा करते हैं आपको हमारा लेख ‘माँ कामाख्या शक्तिपीठ’ पसंद आया होगा और आपको कामाख्या मंदिर से जुडी हुई सभी प्रकार की जानकारी प्राप्त हुई होगी| हमारे लेख को अंत तक पढने के लिए आपका आभार| हमारे अन्य लेख भी पढ़ें| और किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए हमें अवश्य बताएं| धन्यवाद|

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Deeksha Dixit

Writer & Blogger

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मेरा नाम दीक्षा दीक्षित हैं मुझे लगता हैं कि मेरा परिचय सबसे पहले मेरी बेटी से ही शुरू होना चाहिए|

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