देवताओं की भूमि कहा जाने वाला उत्तराखंड दुनिया भर में अपनी चार धाम यात्रा के लिए भी जाना जाता है, जहां पर प्रकृति की बेहद खूबसूरत कारीगरी के साथ ही साथ कई तीर्थ स्थान भी हैं जिनके दर्शन हेतु भक्तों का जमावड़ा साल भर यहाँ लगा रहता है| हिमालय पर्वत की शृंखलाओं की तलहटी में स्थित उत्तराखंड राज्य, प्रकृति की अद्भुत छटाओं के बीच भी पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है| यह पूर्व में नेपाल और उत्तर में चीन के साथ अपनी अंतर्राष्ट्रीय सीमायें भी साझा करता है|
उत्तराखंड चार धाम यात्रा का केंद्र यहाँ स्थित चार धाम अर्थात् बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री तथा यमुनोत्री हैं जिनके दर्शन हेतु भक्त देश के कोने-कोने से यहाँ आते हैं| हिंदुओं में चार धाम यात्रा का विशेष महत्व है, जिनके लिए मान्यता है कि चार धाम यात्रा मात्र से लोगों को मोक्ष की प्राप्ति होती है जिसके कारण सभी मन में यहीं इच्छा रहती है कि हम भी एक बार चार धाम यात्रा अवश्य कर लें लेकिन चार धाम यात्रा के स्थानों को लेकर लोगों के मन में थोड़ा संदेह भी रहता है कि आखिर ये चार धाम हैं कौन से?
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कोई चार धाम में चारों दिशाओं में फैले हुए धाम बद्रीनाथ, पुरी, द्वारका और रामेश्वरम का जिक्र करता है तो कोई उत्तराखंड के चार धामों गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ की गिनती इन चार धामों में करता है| तो आज हम आपके इस संदेह को दूर करते हुए आपको चार धामों और उनके महत्व से अवगत कराएंगे| तो हमारे हिन्दू धर्म में 2 प्रकार के चार धाम की मान्यता है एक छोटी चार धाम और दूसरा बड़ा चार धाम| बड़ा चार धाम के बारे में हमने अन्य लेख भी बनाया है जिसके बारे में आप हमारी वेबसाईट पर विस्तृत रूप से जानकारी ले सकते हैं| इस लेख में हम छोटी चार धाम यात्रा के बारे में विस्तार से बात करेंगे|
छोटी चार धाम यात्रा का सही क्रम-
उत्तराखंड चार धाम यात्रा की शुरुआत यमुनोत्री से की जाती है जिसके बाद यहाँ से गंगोत्री के लिए प्रस्थान किया जाता है, गंगोत्री से केदारनाथ और अंत में बद्रीनाथ में जाकर दर्शन करने से आपकी यह चार धाम यात्रा पूरी होती है|
छोटी चार धाम यात्रा के लिए उपयुक्त समय-
चार धाम यात्रा के लिए मंदिरों के पट लगभग अप्रैल, मई के महीने से खुलकर अक्टूबर, नवंबर के महीने तक अलग-अलग समय पर खुलते हैं जिस दौरान आप यहाँ यात्रा कर सकते हैं लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से देखा जाए तो आपको यहाँ मानसून के समय जाने से बचना चाहिए|
उत्तराखंड चार धाम यात्रा के केंद्र-
- यमुनोत्री
- गंगोत्री
- केदारनाथ
- बद्रीनाथ
उत्तराखंड चार धाम यात्रा के केंद्र यहाँ के प्रमुख धार्मिक स्थल गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ तथा केदारनाथ हैं जिनके दर्शन मात्र से मन को शांति और मोक्ष की प्राप्ति होती है जो बड़ा चार धाम के समान ही पूजनीय हैं बस दोनों में अंतर इतना है कि बड़ा चार धाम देश के कोने-कोने में हैं और छोटी चार धाम उत्तराखंड राज्य में हैं|
आज हम आपको इस लेख में छोटी चार धाम यात्रा अर्थात् उत्तराखंड चार धाम यात्रा के बारे में विस्तृत रूप से हर संभव जानकारी देने की पूरी कोशिश करेंगे| तो आगे बढ़ते हैं और जानते हैं उत्तराखंड चार धाम यात्रा के चार केंद्र बिन्दु के बारे में विस्तार से-
यमुनोत्री
यमुना नदी का स्त्रोत बना यमुनोत्री, उत्तराखंड राज्य के जिला उत्तरकाशी में गढ़वाल हिमालय में स्थित है| यमुनोत्री के प्रमुख आकर्षण के केंद्र यहाँ स्थित देवी यमुना को समर्पित मंदिर तथा पवित्र तापीय झरना जानकीचट्टी हैं| छोटी चार धाम यात्रा का हिस्सा बना यमुनोत्री, चार धाम यात्रा का प्रारंभ बिन्दु है जहां से यात्रा की शुरुआत की जाती है जिसके बाद यहाँ से गंगोत्री की ओर प्रस्थान किया जाता है| यमुनोत्री का का पवित्र मंदिर गढ़वाल हिमालय में बंदरपूंछ पर्वत के एक किनारे पर स्थित सबसे पश्चिमी तीर्थस्थान है|
धार्मिक तथ्यों से ओत-प्रोत यमुनोत्री, आस्था का प्रतीक होने के साथ ही साथ ट्रैकर्स का भी पसंदीदा स्थान है जहां पर प्रकृति की अद्भुत कारीगरी को निहारने वाले कई ट्रैकिंग मार्ग हैं| गढ़वाल हिमालय में 3293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यमुनोत्री शांति और सुकून की चाह रखने वालों का पसंदीदा स्थान है, साथ ही साथ हिंदुओं का पवित्र तीर्थ स्थल भी है|
यमुनोत्री के पास में घूमने की जगह-
जानकी चट्टी, यमुनोत्री मंदिर, सप्तऋषि कुंड, सूर्य कुंड, हनुमान चट्टी, दिव्य शिला, बड़कोट, खरसाली शनि मंदिर, ऋषि जमदग्नि आश्रम, रायथल गाँव, गंगनानी, उत्तरकाशी, दयारा बुग्याल तथा डोडी ताल आदि यमुनोत्री के पास में घूमने के आकर्षण हैं|
गंगोत्री
चार धाम यात्रा के चार धामों में से एक गंगोत्री, उत्तर भारत के आध्यात्मिक स्थलों में से एक है| गंगा नदी का उद्गम स्थान गंगोत्री ग्लेशियर में स्थित गोमुख में है| माँ गंगा को समर्पित यह दिव्य स्थान जहां पर धार्मिकता के साथ ही साथ प्रकृति प्रेमियों के लिए कई स्वर्ग जैसे स्थान हैं, जहां जाकर आप शांति के साथ ही प्रकृति की उत्कृष्ट कृतियों को निहार सकते हैं तथा प्रकृति की इन अद्भुत कृतियों के बीच रोमांचक ट्रैक के कारण ट्रैकर्स के लिए भी बेहद ही पसंदीदा स्थान है|
समुद्र तल से लगभग 3200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह पवित्र तीर्थस्थल, हिंदुओं की आस्था का केंद्र है| गंगा नदी का उद्गम स्थल बना गंगोत्री धाम, जहां पर नदी के उद्गम स्थल को भागीरथी की संज्ञा दी जाती है तथा देवप्रयाग से आगे बढ़ने पर इसे गंगा के नाम से संबोधित किया जाता है, जहां पर यह अलकनंदा नदी से जाकर मिलती है| देवी गंगा का निवास स्थान गंगोत्री, अपनी पवित्रता और सुंदरता के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है|
गंगोत्री के पास घूमने की जगह-
गंगोत्री मंदिर, डोडीताल, गौमुख, पांडव गुफा, तपोवन, मनेरी झील, भागीरथी शिला, दयारा बुग्याल, सूर्य कुंड, विश्वनाथ मंदिर, धराली, उत्तर काशी, विश्वनाथ मंदिर, कालिंदी खल ट्रैक, हरसिल, भैरोंघाटी, भोजबासा, गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान, केदार ताल तथा गंगनानी आदि गंगोत्री के पास में घूमने की खूबसूरत जगहें हैं|
केदारनाथ
उत्तराखंड के चार धाम और पंच केदार का एक हिस्सा बना केदारनाथ धाम, भारत के पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक है जो कि समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर विद्यमान है| मंदाकिनी नदी के किनारे पर स्थित केदारनाथ धाम भगवान शिव को समर्पित द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक की संज्ञा लिए हुए है तथा अद्भुत वास्तुकला का उदाहरण बना हुआ केदारनाथ धाम लाखों भक्तों की आस्था का केंद्र बना हुआ है|
उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित केदारनाथ मंदिर, धार्मिकता के साथ ही साथ बर्फ से ढकी चोटियों से घिरे हुए पठार के बीच में स्थित होने के कारण भव्य दृश्यों की भी प्रस्तुति करता है| भगवान शिव से जुड़कर आध्यात्मिकता की प्राप्ति के साथ ही साथ यह स्थान अपने अद्भुत नजारों के बीच पर्यटन की दृष्टि से भी आकर्षण का केंद्र है|
केदारनाथ मंदिर के पास में घूमने की जगह-
भैरवनाथ मंदिर, आदि गुरु शंकराचार्य समाधि, गुप्तकाशी, चंद्रशिला गाँव, सोनप्रयाग, वासुकि ताल, चोरबारी ताल, तुंगनाथ मंदिर, गौरीकुंड, त्रियुगी नारायण मंदिर तथा रुद्र गुफा आदि केदारनाथ मंदिर के पास में घूमने की जगह हैं|
बद्रीनाथ
वैष्णवों के पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित है जहां पर भगवान बद्रीनाथ की मूर्ति के सामने उनके वाहन गरूड़ की मूर्ति विद्यमान है| किंवदंती के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि आदिगुरु शंकराचार्य ने शालिग्राम पत्थर से निर्मित भगवान बद्रीनारायण की एक काले पत्थर की प्रतिमा की खोज अलकनंदा नदी में की थी| आदिगुरु शंकराचार्य जी ने इस प्रतिमा को तप्त कुंड गरम झरनों के समीप एक गुफा में स्थापित करा था जिसे गढ़वाल के राजा ने मंदिर में स्थानांतरित कर दिया|
स्कन्दपुराण में बद्रीनाथ धाम की महिमा का वर्णन कुछ इस प्रकार है कि “स्वर्ग, नरक और पृथ्वी में अनेक पवित्र तीर्थस्थल हैं, लेकिन बद्रीनाथ जैसा कोई तीर्थस्थल नहीं है|” ऋषि नर और नारायण की तपस्या स्थली बना बद्रीनाथ धाम, कई प्राचीन हिन्दू धर्मग्रंथों की कथाओं को खुद में समेटे हुए है| ऐसे तीर्थस्थल का आनंद चार धाम यात्रा के माध्यम से सौभाग्य की प्राप्ति है जिसके कारण से यह हमेशा से ही भक्तों की भक्ति का केंद्र बना रहता है|
बद्रीनाथ धाम के पास में घूमने की जगह-
बद्रीनाथ मंदिर, व्यास गुफा, नीलकंठ चोटी, सरस्वती नदी, ब्रम्हा कपाल, चरण पादुका, सतोपंथ झील, तप्त कुंड, नारद कुंड, माना गाँव, वसुधारा वॉटरफॉल, शेषनेत्र तथा भीम पुल आदि बद्रीनाथ के पास घूमने हेतु पर्यटन स्थल हैं|
इस प्रकार हम यह लेख ‘छोटी चार धाम यात्रा’ को यहीं समाप्त करते हैं और आशा करते हैं यह लेख आपकी यात्रा में अवश्य मदद करेगा| अगर आपको हमारा लेख पसंद आया हो तो ज़्यादा से ज्यादा लोगों से साझा करें और हमें कमेन्ट के माध्यम से अपने विचारों और अपनी यात्रा के अनुभव से जरूर अवगत कराएं| आपकी यात्रा मंगलमय हो| धन्यवाद|
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