झांसी में घूमने की जगह : Best Places To Visit In Jhansi

उत्तर प्रदेश राज्य का ऐतिहासिक शहर झांसी, पहुंज नदी और बेतवा नदी के बीच स्थित है| बुंदेलखंड के क्षेत्र में स्थित झांसी जिले के बारे में आज हम इस लेख ‘झांसी में घूमने की जगह’ में विस्तार से चर्चा करेंगे| समुद्र तल से 285 मीटर की औसत ऊंचाई पर स्थित झांसी जिला मुख्यालय भी है| प्राचीन समय में बलवंतनगर के नाम से विख्यात झांसी के पूर्व में हमीरपुर जिला, उत्तर में जालौन जिला तथा दक्षिण में मध्य प्रदेश स्थित टिकमगढ़ जिला हैं|

पहुंज नदी के तट पर बसा हुआ झांसी, उत्तर प्रदेश के दक्षिण में स्थित है| झांसी, एक समय बुंदेलखंड का  अभिन्न अंग हुआ करता था जिसके कारण आज भी यह बुंदेलों की कई परंपराओं और रीति-रिवाजों को सहेजे हुए है| लेकिन साथ ही साथ यहाँ की संस्कृति में मुगल और मराठा का भी असर दिखाई देता है क्योंकि मुगल और मराठा राजवंशों ने झांसी शहर का इतिहास रचने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है|

देश की राजधानी दिल्ली से 476 किलोमीटर (लगभग) की दूरी पर स्थित झांसी, अपने बुन्देली परंपराओं और संस्कृति के साथ अपनी विशिष्ट पहचान बनाए हुए है जिसके कारण इसे “गेटवे टू बुंदेलखंड” भी कहा जाता है| अपने गौरवशाली इतिहास के पन्नों को पलटता हुआ और रानी लक्ष्मीबाई के अदम्य साहस की कहानियों को सँजोये हुए झांसी, इतिहास प्रेमियों के लिए बेहद पसंदीदा स्थान है जिसके कारण उत्तर प्रदेश के इस गौरवशाली शहर झांसी में घूमने की जगह के बारे में विस्तार से चर्चा करना जरूरी है|

सुभद्रा कुमारी चौहान द्वारा लिखी गई यह कविता रानी लक्ष्मीबाई के अदम्य साहस और वीरता की गाथा को भली-भांति बयान करती है- “बुंदेलों हर बोलो के मुंह हमने सुनी कहानी थी, खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी|” तो इस साहस वाली भावना से ओत-प्रोत होकर आगे बढ़ते हैं और जानते हैं वीरता की मिसाल कायम करने वाली भूमि झांसी में घूमने की जगह के बारे में विस्तार से|

झांसी में घूमने की जगह को कैसे करें प्लान?

आप अपने शहर से बस या ट्रेन के माध्यम से आसानी से झांसी आ सकते हैं| झांसी में कोई एयरपोर्ट नहीं हैं जिसकी वजह से फ्लाइट के माध्यम से यहाँ तक नहीं आ सकते हैं| उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 315 किलोमीटर (लगभग) की दूरी पर स्थित झांसी, क्रांतिवीरों की धरती है जहां पर आकर वीर गाथाओं के बारे में जानना, आपको एक अलग ही अनुभव देगा|

झांसी में घूमने की जगह को कब करें प्लान?

झांसी में घूमने की जगह के लिए सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से मार्च का है क्योंकि इस समय गर्मी नहीं होती है, न ही बारिश का डर रहता है जिससे आप बिना किसी परेशानी के सभी जगहों को अच्छे से घूम सकते हैं| उत्तर प्रदेश में गर्मी का मौसम बहुत ज्यादा गर्म रहता है जिससे आपको यहाँ गर्मी के समय में आना भारी पड़ सकता है|

झांसी में घूमने की जगह : Best Places To Visit In Jhansi-

झांसी का किला

वीरता और प्राचीन राजसी गौरव की अभिव्यक्ति करता हुआ 1857 के विद्रोह के महत्वपूर्ण केंद्रों में से एक झांसी का किला, झांसी में घूमने की जगह में महत्वपूर्ण स्थान रखता है जिसका निर्माण ओरछा के राजा बीर सिंह जू देव द्वारा बंगरा नामक एक चट्टानी पहाड़ी पर करवाया गया था| किले के अंदर गार्डन, शिव मंदिर तथा कई अन्य घूमने हेतु स्थान हैं जो आपको इतिहास के उन दिनों में होने का अनुभव कराएंगे| इस किले से पूरे झांसी शहर का दिखने वाला नजारा आपके मन को अवश्य ही प्रभावित करेगा|

बरुआसागर

बरुआसागर जिसका नाम बरुआसागर ताल नामक एक बड़ी झील के नाम पर रखा गया है| इस झील का निर्माण 260 वर्ष पहले ओरछा के बुंदेला राजा उदित सिंह द्वारा कराया गया था| इसके बगल में ही बरुआसागर का खूबसूरत किले का भी निर्माण कराया गया था जिसका उपयोग ओरछा के राजाओं के ग्रीष्मकालीन विश्राम स्थल के रूप में किया जाता था| बरुआसागर का किला कुछ ऐतिहासिक घटनाओं की अभिव्यक्ति भी करता है|

रानी महल

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई का महल जिसे रानी महल के नाम से जाना जाता है, यहाँ पर रानी लक्ष्मी बाई निवास करती थीं| वर्तमान में जो रानी महल है उसका निर्माण नेवालकर परिवार के रघुनाथ राव द्वितीय द्वारा करवाया गया था| यहाँ की दीवारों और छतों पर आपको बहु रंगीन कला के कई उदाहरण देखने को मिलेंगे जिनको देख के प्रतीत होता है जिस समय इस महल का निर्माण हुआ होगा इसकी छटा निहारने योग्य होगी|

अब इस महल को संग्रहालय में परिवर्तित कर दिया गया है जिसमें भारत के पुरातत्व सर्वेक्षण के द्वारा यहाँ पर 9वीं-12वीं शताब्दी ईस्वी के बीच की मूर्तियों का विशाल संग्रह रखा गया है| इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए यह स्थान महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है जिसके कारण इसे झांसी में घूमने की जगह में शामिल किया जा सकता है|

गंगाधर राव की छतरी

महाराजा गंगाधर राव जिनका नाम झांसी के इतिहास में हमेशा अमर रहेगा, एक दशक से अधिक अवधि के समय के लिए उन्होंने झांसी पर शासन किया| रानी लक्ष्मीबाई ने 1853 में महाराजा गंगाधर राव की मृत्यु के बाद इस प्राचीन स्मारक को बनवाया था|

सखी के हनुमान

हनुमान जी को समर्पित यह मंदिर जहां पर मंगलवार और शनिवार के दिन भक्तों का हुजूम लगा रहता है| झांसी में ग्वालियर रोड पर स्थित यह मंदिर जहां पर हनुमान जी स्त्री वेश में पूजे जाते हैं| मंदिर का परिसर काफी विशाल है साथ ही साथ अंदर कई देवी-देवताओं को समर्पित अन्य मंदिर भी हैं| झांसी का यह प्रसिद्ध मंदिर जिसे झांसी में घूमने की जगह में शामिल कर आपको शांति का सुखद अनुभव होगा|

गणेश मंदिर

यह वही स्थान है जहां पर मणिकर्णिका तांबे का विवाह गंगाधर राव के साथ 1842 में सम्पन्न हुआ था जिसके बाद मराठा रीति-रिवाजों का सम्मान करते हुए राजा गंगाधर राव की पत्नी को एक नया नाम दिया गया- रानी लक्ष्मीबाई| कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण 1760 ई. में कराया गया था लेकिन इसका निर्माण किसने कराया इसके बारे में स्पष्ट जानकारी किसी को ज्ञात नहीं है| मंदिर के निर्माण को लेकर सभी के अलग-अलग दावे हैं|

राजकीय म्यूजियम

राज्य संग्रहालय में चांदी और कॉपर के सिक्के, कांस्य, हथियार, टेराकोटा, मूर्तियों तथा पांडुलिपियों का संग्रह है| देश के सबसे पुराने संग्रहालयों में से एक राजकीय संग्रहालय जहां की कलाकृतियाँ बुंदेलखंड के प्राचीन इतिहास का प्रतिबिंब दर्शाती हैं| इतिहास में रुचि रखने वालों के लिए यह पसंदीदा स्थान है जहां पर बच्चों को भारत के इतिहास से जुड़ी जानकारियों से अवगत कराने के लिए अवश्य ले जाना चाहिए|

लक्ष्मी मंदिर

देवी लक्ष्मी को समर्पित इस मंदिर का निर्माण 18वीं. शताब्दी में किया गया था| यह मंदिर लक्ष्मी ताल के पास में स्थित है| रानी लक्ष्मीबाई इस मंदिर में नियमित रूप से प्रार्थना करने आती थीं| मराठा सूबेदार शिवराव भाऊ द्वारा बनवाया गया लक्ष्मी मंदिर, झांसी के महाराजाओं का मुख्य मंदिर हुआ करता था क्योंकि यहाँ पर उनकी कुलदेवी का वास था|

सेंट जूड्स चर्च

ईसाइयों का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल सेंट जूड्स चर्च, झांसी में घूमने की जगह में शामिल किया जा सकता है क्योंकि यहाँ के बारे में ऐसी मान्यता है कि इस चर्च की नींव में सेंट जूड की हड्डियाँ दफनाई गई हैं| इस प्राचीन चर्च का निर्माण 1966 में कराया गया| ईसाई और हिन्दू वास्तुकला शैली का प्रतिनिधित्व करता यह धार्मिक स्थान आस्था के आधार पर सिर्फ ईसाइयों को ही नहीं अपितु अन्य धर्म के लोगों को भी अपनी ओर आकर्षित करता रहता है|

करगुवांजी जैन मंदिर

दिगम्बर जैनियों का प्रसिद्ध तीर्थस्थल जो कि पार्श्वनाथ जी को समर्पित है| जैन धर्म के प्रचारकों का आकर्षण का केंद्र बना यह मंदिर लगभग 700 वर्ष पुराना है| मंदिर का पूरा नाम श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र सांवलिया पारसनाथ करगुवांजी है यहाँ पर अतिशय क्षेत्र से तात्पर्य चमत्कारों के स्थान से है|

ओरछा किला

झांसी तक आ ही गये हैं तो झांसी से मात्र 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित ओरछा का दीदार भी अवश्य कर लें जहां का ओरछा किला, पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है| इसका निर्माण 1501 में बुन्देल के राजा रुद्र प्रताप सिंह ने कराया था| बेतवा नदी के आईलैंड पर स्थित ओरछा का किला, अपनी खूबसूरती से पर्यटकों को आकर्षित करता रहता है| इस किले में आपको चतुर्भुज मंदिर, वाइल्ड लाइफ सेन्चुरी तथा लक्ष्मी नारायण मंदिर भी देखने को मिलेगा जो इस किले की छवि में चार चाँद लगाते हैं|

पारीछा बांध

प्रकृति के मनोरम दृश्यों की छवि को दर्शाता हुआ पारीछा बांध, पारीछा कस्बा के पास में बेतवा नदी पर बनाया गया है| पारीछा बांध, झांसी से लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर झांसी-कानपुर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 25 पर बना हुआ है| इसका जलाशय जो कि झांसी से नॉटघाट पुल तक जाता है, अपने मनोरम दृश्यों से पर्यटकों को आकर्षित करता रहता है| इसे झांसी में घूमने की जगह में शामिल करना आपकी ट्रिप को यादगार और खुशनुमा बना सकता है|

इलाइट सर्कल

झांसी के प्रसिद्ध चौराहों में से एक इलाइट चौराहा जहां से आपको कहीं भी जाने के लिए आसानी से साधन मिल जाएंगे तथा यहाँ आपको हर तरह की खाने पीने से लेकर कपड़ों की कारीदारी तक सभी तरह की दुकानें आसानी से मिल जाएंगी| शॉपिंग और खाने-पीने के शौकीन लोगों के लिए इलाइट सर्कल को झांसी में घूमने की जगह में शामिल करना एक रुचिकर विकल्प है|

सुकमा दुकमा बांध

झांसी से 40 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सुकमा दुकमा बांध को ढुकवान बांध के नाम से भी जाना जाता है| सुकमा दुकमा बांध ब्रिटिश काल से बेतवा नदी पर बना हुआ है| इस बांध का निर्माण पारीछा बांध के द्वितीयक बांध के रूप में किया गया था| पानी की सरसराहट और इसके पास की सुरम्य हरियाली इसे पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनाती है जिसके लिए इसे झांसी में घूमने की जगह में शामिल करना आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है|

गढ़मऊ झील

झांसी का एक प्राकृतिक खूबसूरत पर्यटन स्थल जो कि अपने पर्यटकों को सूर्योदय और सूर्यास्त के समय सबसे ज्यादा आकर्षित करता है| झांसी से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गढ़मऊ झील, कानपुर की ओर NH25 पर 14 किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई है| परिवार के साथ पिकनिक का आदर्श स्थान बनी गढ़मऊ झील, झांसी के लोकल लोगों की भी लोकप्रिय जगह है जिसके कारण झांसी के इस नगीने को झांसी में घूमने की जगह में शामिल न करना, पर्यटकों के लिए नाइंसाफी होगी|

समथर किला

झांसी से 60 किलोमीटर उत्तर में समथर, किसी समय शक्तिशाली रियासत का मुख्यालय रह चुका है और आज भी अपने शानदार किले के लिए जाना जाता है| बुन्देलखंडी और फ्रांसीसी वास्तुकला का उदाहरण पेश करता हुआ समथर किला, वर्तमान में भी एक खाई से घिरा हुआ है| अपनी भव्यता को आज तक बरकरार रखे हुए समथर किला, उस समय के शक्तिशाली योद्धाओं की यादों को आज भी सहेजे हुए है जो यहाँ पर शासन किया करते थे|

मेजर ध्यानचंद संग्रहालय

भारतीय हॉकी को वैश्विक स्तर पर ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले मेजर ध्यानचंद अपने पिता के सेना स्थानांतरणों के कारण छह साल की स्कूली पढ़ाई के बाद झांसी में बस गए जिसके कारण वह झांसी से जुड़े हुए हैं| झांसी में मेजर ध्यानचंद को समर्पित मेजर ध्यानचंद संग्रहालय का निर्माण किया गया है जो कि इस तरह का एशिया का पहला और विश्व का दूसरा संग्रहालय है|

यहाँ पर आपको मेजर ध्यानचंद के ओलंपिक पदक के साथ ही साथ उनकी व्यक्तिगत वस्तुओं का संग्रह देखने को मिलेगा तथा आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए डिस्प्ले के माध्यम से आपको मेजर ध्यानचंद जी के खेल और उनके व्यक्तिगत जीवन से जुड़ी हुई जानकारियों से अवगत कराया जाता है| खेल जगत की दुनिया में रुचि रखने वालों के लिए तथा बच्चों को इस महान हस्ती की विशेषताओं से रूबरू कराने के लिए इस स्थान को झांसी में घूमने की जगह में अवश्य ही शामिल करना चाहिए|

अटल एकता पार्क

झांसी का अटल एकता पार्क, पर्यटकों के बीच मनोहर दृश्य प्रस्तुत करता है| इसके अंदर एक पुस्तकालय भी है जो कि खूबसूरत पार्क से घिरा हुआ है| पार्क के अंदर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री आदरणीय अटल बिहारी बाजपेई की एक प्रतिमा है| सुबह के समय मॉर्निंग वॉक और योग करने वालों का केंद्र बना अटल एकता पार्क जहां पर बच्चों के मनोरंजन हेतु 3डी गेम के साथ ही साथ कई इनडोर गेम भी हैं| पार्क के अंदर खाने के शौकीन लोगों के लिए रेस्टोरेंट भी है जहां जाकर आप जायकेदार व्यंजन का स्वाद ले सकते हैं| यहाँ पर सांस्कृतिक मंच है जहां पर लोक कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं|

इसे भी पढ़ें-

आप झांसी में घूमने की जगह के साथ ही साथ उत्तर प्रदेश के अन्य स्थानों को भी अपनी ट्रिप में शामिल कर सकते हैं| अधिक जानकारी के लिए हमारा अन्य लेख ‘उत्तर प्रदेश में घूमने की जगह’ भी पढ़ें|

झांसी कैसे पहुँचें?

हवाई मार्ग द्वारा- झांसी में कोई एयरपोर्ट नहीं है| लेकिन अगर आप जल्दी झांसी पहुंचना चाहते हैं तो झांसी के निकटतम एयरपोर्ट ग्वालियर और खजुराहो में हैं| झांसी से ग्वालियर की दूरी 101 किलोमीटर (लगभग) तथा खजुराहो की दूरी 173 किलोमीटर (लगभग) है| आप अपने शहर से फ्लाइट के माध्यम से आसानी से ग्वालियर या खजुराहो तक आ सकते हैं उसके बाद वहाँ से ट्रेन, बस या टैक्सी के माध्यम से झांसी आ सकते हैं|

रेलमार्ग द्वारा- झांसी रेलमार्ग द्वारा अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है| सभी मुख्य शहरों से आपको झांसी के लिए आसानी से ट्रेन मिल जाएंगी|

सड़क मार्ग द्वारा- आप अपने साधन से भी झांसी आ सकते हैं| इसके अलावा आप बस के माध्यम से भी आसानी से झांसी पहुँच सकते हैं| झांसी, राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 25 और 26 पर स्थित है|  

FAQ-

प्रश्न- दिल्ली से झांसी की दूरी कितनी है?

उत्तर- दिल्ली से झांसी की दूरी लगभग 476 किलोमीटर है|

प्रश्न- झांसी में घूमने की जगह कौन-कौन सी हैं?

उत्तर- झांसी का किला, सखी के हनुमान, अटल एकता पार्क, मेजर ध्यानचंद संग्रहालय, समथर किला, गढ़मऊ झील, सुकमा दुकमा बांध, इलाइट सर्कल, पारीछा बांध, ओरछा किला, करगुवांजी जैन मंदिर, सेंट जूड्स चर्च, लक्ष्मी मंदिर, राजकीय म्यूजियम, गणेश मंदिर, गंगाधर राव की छतरी, रानी महल तथा बरुआसागर आदि झांसी के प्रमुख पर्यटन स्थल हैं|

इसी के साथ हमारा लेख ‘झांसी में घूमने की जगह’ यहीं समाप्त होता है| आशा करते हैं हमारा लेख आपके लिए मददगार होगा और आपकी यात्रा को सुलभ अवश्य बनाएगा| किसी विशेष स्थान की जानकारी के लिए हमें कमेन्ट के माध्यम से अवश्य बताएं| हमें आपकी सहायता करके खुशी होगी| धन्यवाद| आपकी यात्रा मंगलमय हो|

यह भी जानें-

Deeksha Dixit

Writer & Blogger

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मेरा नाम दीक्षा दीक्षित हैं मुझे लगता हैं कि मेरा परिचय सबसे पहले मेरी बेटी से ही शुरू होना चाहिए|

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