वृन्दावन में घूमने की जगह( ब्रज यात्रा विवरण-5)

वृन्दावन अर्थात जहाँ तुलसी के वन हो| आज हम जानेंगे वृन्दावन में घूमने की जगह के बारे में जहाँ पर हर गली गली में स्वयं प्रभु अपनी छाप छोड़े हैं और आनंद उठाते हैं उनकी नटखट लीलाओं का जिनसे वो सभी का मन मोह लेते हैं| वृन्दावन नाम मात्र से ही मन मोहित हो जाता है, श्री कृष्ण की नगरी जहाँ पर कभी प्रभु ने महारास किया, तो कभी अपनी वंशी से कूप का निर्माण किया तो आगे बढ़ते हैं और बोलिए राधे- राधे!

वृन्दावन में घूमने की जगह का पौराणिक महत्त्व-

वैसे तो वृन्दावन का हर कोना एक महत्त्व रखता है, पर जिस स्थान की कुछ रोचक कहानी है, वह है निधिवन| कहते हैं कि निधिवन में ही एक स्थान पर गुरु हरिदास जी बैठ कर भजन करते थे| उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर प्रभु ने उन्हें स्वप्न दिया कि जिस जगह पर आप भजन करते हैं, उस जगह पर मेरा विग्रह है जिसके बाद इस स्थान की खुदाई करायी गयी जिससे ठाकुर जी का प्राकट्य हुआ| इसी प्रकार वृन्दावन का हर स्थान अपने में प्रभु का कोई न कोई रूप संजोये हुए है तो बोलिए बाँके बिहारी लाल की जय!

वृन्दावन में घूमने की जगह को कैसे करें प्लान?

वृन्दावन आने के लिए आप अपने शहर से मथुरा आसानी से आ सकते हैं उसके बाद टेम्पो, ई-रिक्शा आदि के माध्यम से वृन्दावन आ सकते हैं| मथुरा से वृन्दावन की दूरी 15 किलोमीटर है| मथुरा आने के लिए ट्रेन के तो आपको विभिन्न विकल्प मिलेंगे पर यहाँ अभी एअरपोर्ट नहीं है जिसके कारण यहाँ तक आने के लिए फ्लाइट की सुविधा नहीं है|

अगर आप फ्लाइट की सुविधा चाहते हैं, तो वृन्दावन के पास का एअरपोर्ट आगरा में है| आगरा तक आप अपने शहर से फ्लाइट से आ सकते हैं| उसके बाद टैक्सी कर सकते हैं| आगरा से वृन्दावन की दूरी 70 किलोमीटर है| यहाँ पर होटल और धर्मशाला आसानी से और उचित मूल्य पर मिल जाते हैं|

वृन्दावन में घूमने की जगह को कब करें प्लान?

अगर आप त्योहारों के हिसाब से यहाँ आना चाहते हैं, तो कान्हा की नगरी में होली, जन्माष्टमी बड़े ही धूमधाम से मनाये जाते हैं पर यहाँ इस वक़्त आपको भारी भीड़ का सामना करना पड़ सकता है|

सामान्य दिनों की बात करें तो यहाँ के लिए सितम्बर से अप्रैल महीने के बीच का समय सबसे उपयुक्त है क्यूंकि न ही इस समय ज्यादा गर्मी होती है, न ही बारिश| तो जल्दी से आप भी अपने परिवार के साथ वृन्दावन में घूमने की जगह के लिए अपना भी प्लान बना लीजिये|

वृन्दावन में घूमने की जगह-

बाँकेबिहारी जी का मंदिर

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यहाँ पर ठाकुर जी बाल रूप में हैं और इस मंदिर की सबसे अलग बात यह है कि यहाँ पर ठाकुर जी बिना बांसुरी के हैं और इनको बांसुरी सिर्फ साल में एक दिन लगायी जाती है शरद पूर्णिमा के दिन तो बोलिए बाँकेबिहारी लाल की जय|

श्री राधावल्लभ जी का मंदिर

इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर वृन्दावन का सबसे पुराना मंदिर है| श्री हित हरिवंश महाप्रभु, राधा वल्लभ को लेकर वृन्दावन आये थे| यहाँ पर कृष्ण जी और राधा रानी के युगल स्वरुप में दर्शन होते हैं| इस मंदिर के बारे में एक कहावत है, “श्री राधा वल्लभ, दर्शन दुर्लभ” अर्थात यहाँ पर बहुत ही भाग्यशाली लोगों को प्रभु दर्शन देते हैं तो आपको भी इस स्थान को वृन्दावन में घूमने की जगह में जरुर शामिल करना चाहिए और प्रभु का आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए तो बोलते चलिए श्री राधावल्लभ लाल की जय!

निधिवन

निधिवन, जहाँ पर कृष्ण जी ने 16108 गोपियों के साथ महारास किया था और मान्यता है कि आज भी ठाकुर जी राधा रानी के साथ रास लीला करने यहाँ आते हैं जिसके कारण यहाँ रात में कोई रुक नही सकता है, जो भी रुकता है या तो उसकी मृत्यु हो जाती है या फिर वो अँधा, बहरा, गूंगा हो जाता है| ऐसा भी कहा जाता है कि इस वन के जो भी वृक्ष हैं, ये दिन में वृक्ष रहते हैं और रात में गोपी बन जाते है|

वृन्दावन के वृक्ष को मर्म न जाने कोए, यहाँ डाल-डाल और पात-पात पर राधे-राधे होए! इस स्थान के बारे में ये भी मान्यता है कि यहाँ पर रंग महल में रात में जो भी प्रसाद और श्रृंगार का सामान रखा जाता हैं, वह सुबह देखने पर उपयोग में लाया हुआ प्रतीत होता है| ऐसे दिव्य स्थान को वृन्दावन में घूमने की जगह में अवश्य ही शामिल करना चाहिए|

मीराबाई मन्दिर

इस स्थान पर लगभग 15 साल तक मीराबाई ने गिरिधर गोपाल की उपासना की है| मेरो तो गिरिधर गोपाल, दूसरो न कोए! मीराबाई को जो पूर्वज ब्रज में लाये थे, उन्होंने ही इस मंदिर का भी निर्माण कराया|

इस मंदिर में ठाकुर जी के एक तरफ राधा रानी और एक तरफ मीराबाई की प्रतिमा है| जिनकी प्रतिमा इतनी सुन्दर वो कितना सुन्दर होगा| तो निहार लीजिये इस प्रतिमा को और डूब जाइये प्रभु की भक्ति में| यहाँ पर मीराबाई की भजन कुटी भी है, जहाँ पर मीराबाई भजन किया करती थीं| 

राधा रमण मंदिर

वैसे तो वृन्दावन के सभी मन्दिर बहुत ही अलौकिक और दिव्य है परन्तु इस मंदिर की बात ही कुछ अलग है जिसके कारण आपको इसे वृन्दावन में घूमने की जगह में अवश्य ही शामिल करना चाहिए| यहाँ पर लगभग 475 सालों से अग्नि कुंड में अग्नि जल रही है जो कि गोपाल भट्ट गोस्वामी जी ने मन्त्रों द्वारा प्रज्वलित की थी|

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यहाँ पर प्रसाद भी इस अग्नि कुंड की अग्नि से बनता है, और आरती के लिए भी इसी अग्नि का प्रयोग किया जाता है| यहाँ पर ठाकुर जी की प्रतिमा भी स्वयं प्रकट हुई है|

रंगनाथ मंदिर

अगर आपको दक्षिण भारत के मन्दिर जैसी छवि वृन्दावन में देखने का मन करे, तो इस स्थान को वृन्दावन में घूमने की जगह में जरुर शामिल करें क्यूंकि इस मंदिर की बनावट दक्षिण भारत के मन्दिर जैसी ही है| यहाँ पर भगवान लक्ष्मी नारायण के दर्शन होते हैं|

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source- pexels.com

इस मन्दिर का नाम स्वामी रंगाचार्य के नाम पर पड़ा जो कि दक्षिण भारत के थे और यहाँ पर रह कर पूजा करते थे| उनके शिष्य श्री लक्ष्मी चन्द्र जैन जी ने इस मंदिर का निर्माण कराया| इस मन्दिर में 500 किलोग्राम का सोने तथा अष्टधातु से बना हुआ खम्भा है| यह मंदिर बहुत ही विशाल है तथा इसके अंदर और भी कई मंदिर हैं|

श्री गोपीश्वर महादेव मंदिर

कृष्ण जी का महारास देखने की इच्छा किसे नहीं होगी? उसी तरह एक बार महादेव जी को भी कृष्ण जी का महारास देखने का मन हुआ, जिसके कारण वह भी वृन्दावन आये पर महारास देखने की अनुमति किसी भी पुरुष को नहीं थी जिसकी वजह से उन्होंने गोपी रूप धारण करके महारास देखा और तभी से इनका नाम गोपीश्वर महादेव पड़ गया| यहाँ पर महादेव की पूजा गोपी रूप में की जाती है|

गोविन्ददेव मन्दिर

इस मंदिर में गिरिधर गोविन्द की प्रतिमा है जिनके एक तरफ नित्यानंद जी और दूसरी तरफ चैतन्य महाप्रभु जी हैं| यहाँ पर जगन्नाथ जी के भी दर्शन होते हैं| इस मंदिर की कलाकृति निहारने योग्य है|

मदनमोहन मन्दिर

यह मंदिर श्री रामदास कपूर के द्वारा बनवाया गया है| यहाँ पर राधा मदनमोहन जी के ललिता सखी के साथ में दर्शन होते हैं तथा इनके एक तरफ चैतन्य महाप्रभु जी और दूसरी तरफ नित्यानंद महाप्रभु जी भी हैं| इस मंदिर का वातावरण बहुत ही शांत है जिसके कारण आपको इसे वृन्दावन में घूमने की जगह में जरुर शामिल करना चाहिए|

प्रेम मंदिर

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कृपालु जी महाराज के द्वारा बनवाया गया भव्य मन्दिर जिसकी सुन्दरता कृष्णभक्ति में चार चाँद लगाती है| वैसे तो यह मंदिर दिन में भी बहुत ही सुंदर है पर रात में यहाँ की जाने वाली लाइटिंग और यहाँ के फाउंटेन उसको लगातार निहारने को विवश कर देते हैं| यहाँ पर ग्राउंड फ्लोर में राधा कृष्णा की प्रतिमा है तथा फर्स्ट फ्लोर में राम दरबार है| बहुत ही विशाल मन्दिर जहाँ पर कई तरह की झांकियों के दर्शन होते हैं- कहीं कृष्ण जी और कालिया नाग के युद्ध का दृश्य है तो कहीं कृष्ण जी के द्वारा उठाया हुआ गोवर्धन दिखता है|

वृन्दावन का सबसे सुन्दर मंदिर जो कि प्रेम का प्रतीक है, इसको आपको वृन्दावन में घूमने की जगह में जरुर ही रखना चाहिए| जय जय श्री राधे!

श्रीकृष्ण बलराम मन्दिर (ISKCON TEMPLE)

यह मंदिर स्वामी प्रभुपाद जी के द्वारा बनवाया गया है| इसमें एक तरफ चैतन्य महाप्रभु जी और नित्यानंद महाप्रभु जी की प्रतिमा है| दूसरी तरफ कृष्ण और बलराम जी की मनमोहक प्रतिमा है तथा तीसरी ओर हमारे प्रभु ठाकुर जी राधा रानी के साथ उनकी सखी ललिता विशाखा भी हैं जिनके दर्शन मात्र से मन तृप्त हो जाता है|

यहाँ पर खिचड़ी का प्रसाद भक्तों को दिया जाता है| यहाँ पर होने वाले भजन से आप स्वयं ही आनंदित होकर झूम उठेंगे| इस मंदिर को वृन्दावन में घूमने की जगह में शामिल करके आपको भी यहाँ पर कृष्ण भक्ति का आनंद अवश्य ही लेना चाहिए| यहाँ की दीवारों पर कृष्ण जी से जुडी हुई कलाकृतियाँ भी बनी हुई हैं|

माँ वैष्णोदेवी धाम

यह मंदिर भी बहुत ही विशाल और भव्य है| माँ वैष्णोदेवी मूर्ति की ऊंचाई धरातल से 141 फुट है और इसे लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स द्वारा 2013 में भारत की सबसे ऊँची प्रतिमा के रूप में सम्मानित किया गया| इस मंदिर का उद्घाटन 22 मई, 2010 में राज्य सभा सांसद श्री डॉ. करन सिंह द्वारा किया गया| यहाँ पर आर्ट गैलरी भी है जहाँ पर मंदिर के निर्माण की प्रक्रिया दर्शायी गयी है|

मंदिर के अन्दर माँ वैष्णों के बहुत ही सुन्दर दर्शन हैं साथ ही साथ यहाँ की दीवारों पर विभिन्न देवी देवताओं की कहानियों का भी चित्रण किया गया है| यहाँ पर दो भागों में गुफा के दर्शन होते हैं, सर्वप्रथम गणेश जी के दर्शन होते हैं, उसके बाद माँ के 9 रूप के दर्शन और अंत में भैरव जी के दर्शन होते हैं| इस मंदिर को भी आपको इसकी छटा निहारने और माँ का आशीर्वाद पाने के लिए अवश्य ही वृन्दावन में घूमने की जगह में शामिल करना चाहिए|

केशी घाट

यहाँ पर यमुना जी का प्राचीन मंदिर है| यहाँ पर कृष्ण जी ने केशी नामक राक्षस का वध किया था जिसके कारण इस जगह को केशी घाट के नाम से जाना जाता है| यहाँ की शाम की आरती बहुत ही सुन्दर होती है, जिसके कारण आपको इस स्थान को वृन्दावन में घूमने की जगह में शामिल करना चाहिए|

भांडीर वन

भांडीर वन में राधा कृष्ण का विवाह हुआ था जो कि स्वयं ब्रम्हा जी ने कराया था| यहाँ के मंदिर में कृष्णभक्तों के लिए बड़ा ही अद्भुत और मनमोहक दृश्य है जिसमें कृष्ण जी के हाथ में बंशी नहीं है बल्कि वो उनके हाथ में राधा जी की मांग भरने के लिए सिन्दूर लिए हैं| ये दृश्य वृन्दावन की खूबसूरती को चार चाँद लगाता है| ऐसे अद्भुत द्रश्य को देखने के लिए आपको भांडीर वन को जरुर ही वृन्दावन में घूमने की जगह में शामिल करना चाहिए|

यहाँ पर एक कुआँ भी है जो कि प्रभु ने अपनी बंशी से प्रकट किया है| मान्यता है कि इस कुँए का पानी सोमवती अमावस्या के दिन सफ़ेद हो जाता है| यहाँ पर दाऊ जी महाराज का भी मंदिर है| यहाँ पर एक वट वृक्ष भी है जिसे भांडीर वट कहा जाता है, यहाँ पर राधा कृष्ण का विवाह मंडप है|

वंशीवट

वंशीवट वह जगह है जहाँ कृष्णजी ने बंशी बजाई| यहाँ पर आपको कई मोर देखने को मिलेंगे| यहाँ पर कुटिया भी बनी हुई हैं जिनमे साधू तपस्या करते हैं|

वंशी वट मन्दिर में जो वृक्ष है, कहते हैं कृष्ण जी इसी पर बैठकर बांसुरी बजाते थे, यह वृक्ष 5500 साल पुराना है| ऐसी मान्यता है कि इस वृक्ष पर कान लगाकर सुनने से आज भी बांसुरी की धुन सुनाई देती है|

टटिया स्थान

श्री स्वामी हरिदास जी की विरक्त परम्परा में श्री स्वामी ललित किशोरी देव जी महाराज ने टटिया स्थान की स्थापना की| आज भी यहाँ स्वामी हरिदास जी महाराज की अमूल्य धरोहर सुरक्षित है| यहाँ आज तक बिजली का उपयोग नहीं होता है जिसके कारण कहा जाता है यहाँ अभी भी कलियुग नहीं आया है| यहाँ का वातावरण बहुत ही शांत और मन को सुकून प्रदान करने वाला है| यह जगह आपको प्रकृति से जोडती है| अगर आपको प्रकृति से जुड़े रहना पसंद है तो आपको अवश्य ही इस स्थान को वृन्दावन में घूमने की जगह में शामिल करना चाहिए|

इसे भी पढ़ें-

अगर आप इस विषय में और जानकारी चाहते हैं, तो ‘मथुरा में घूमने की जगह’ नामक लेख भी पढ़ें, इससे आपको काफी सहायता मिलेगी| और किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए https://mathura.nic.in/ देखें

वृन्दावन कैसे पहुंचे?

हवाई मार्ग दवारा- यहाँ का सबसे नजदीकी एअरपोर्ट आगरा में है तथा आगरा से वृन्दावन की दूरी 70 किलोमीटर है| आगरा आने के बाद वृन्दावन के लिए टैक्सी की सुविधा मिल जाएगी|

रेलमार्ग के द्वारा- वृन्दावन आने के लिए आप ट्रेन के माध्यम से आसानी से मथुरा आ सकते हैं, उसके बाद आप ऑटो, ई- रिक्शा जैसे साधन का उपयोग कर सकते हैं|

सड़क मार्ग द्वारा- सड़क मार्ग द्वारा यात्रा करने के लिए आपको मथुरा आना होगा| उसके बाद विभिन्न साधन जैसे ऑटो, ई-रिक्शा, तथा टैक्सी के माध्यम से आप यहाँ घूम सकते हैं|

FAQ-

प्रश्न- मथुरा से वृन्दावन की दूरी कितनी है?

उत्तर- मथुरा से वृन्दावन की दूरी 15 किलोमीटर है|

प्रश्न- भांडीर वन का क्या महत्त्व है?

उत्तर- भांडीर वन में राधा कृष्ण का विवाह हुआ था जो कि स्वयं ब्रम्हा जी ने कराया था जिसके कारण यह स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है|

प्रश्न- राधा रमण मंदिर की विशेषता क्या है?

उत्तर- यहाँ पर लगभग 475 सालों से अग्नि कुंड में अग्नि जल रही है जो कि गोपाल भट्ट गोस्वामी जी ने मन्त्रों द्वारा प्रज्वलित की थी| यहाँ पर प्रसाद भी इस अग्नि कुंड की अग्नि से बनता है, और आरती के लिए भी इसी अग्नि का प्रयोग किया जाता है|

प्रश्न- वृन्दावन का कौन सा मंदिर दक्षिण भारत के मंदिर जैसा बना है?

उत्तर- रंगनाथ मंदिर की कलाकृति दक्षिण भारत के मंदिरों जैसी है| इस मन्दिर का नाम स्वामी रंगाचार्य के नाम पर पड़ा जो कि दक्षिण भारत के थे और यहाँ पर रह कर पूजा करते थे|

जब भी आप वृन्दावन में घूमने की जगह का प्लान करें तो इसके साथ में मथुरा, गोवर्धन, तथा बरसाना को भी प्लान कर लें, इससे आप ज्यादा से ज्यादा भी घूम पाएंगे और आपका बजट भी नही बिगड़ेगा|

आशा करते हैं कि आपको हमारी ब्रज यात्रा विवरण के लेख ‘वृन्दावन में घूमने की जगह’ पसंद आया होगा| किसी भी प्रकार की त्रुटि हो तो माफ़ी चाहते हैं| हमारे लेख को अंत तक पढने के लिए धन्यवाद| राधे-राधे!

यह भी पढ़ें-

Deeksha Dixit

Writer & Blogger

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मेरा नाम दीक्षा दीक्षित हैं मुझे लगता हैं कि मेरा परिचय सबसे पहले मेरी बेटी से ही शुरू होना चाहिए|

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